आगर मालवा। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कैलाश वानखेड़े ने ग्रीष्मकाल में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 की धारा-3 तथा संशोधन 3 फरवरी 2023 के अंतर्गत आगर-मालवा जिला जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है। कलेक्टर ने जिले में निरंतर भू-जल की गिरावट को दृष्टिगत रखते हुये अधिनियम की धारा-6(1) के अंतर्गत सम्पूर्ण जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर प्रतिबंध लगाया है। जारी आदेशानुसार आगर-मालवा जिले की सीमा में नलकूप एवं बोरिंग मशीन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अनुमति के बिना न तो प्रवेश करेगी (सार्वजनिक सडकों से गुजरने वाली मशीनों को छोडकर) और न ही बिना अनुमति के कोई नया नलकूप खनन करेगी। प्रत्येक राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीनों जो अवैध रूप से जिले में प्रतिबंधित स्थानों पर प्रवेश करेगी अथवा नलकूप खनन एवं बोरिंग का प्रयास कर रही मशीनों को जप्त कर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज कराने का अधिकार होगा। समस्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अपने क्षेत्रान्तर्गत इस निमित्त अपरिहार्य प्रकरणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच के पश्चात अनुज्ञा देने हेतु प्राधिकृत होंगे। इस अधिसूचना का उल्लंघन करने पर म.प्र. पेयजल परीरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3, धारा 4 या धारा 6 के उपबंध का उल्लंघन, प्रथम अपराध के लिए पांच हजार रूपये के जुर्माने से और पश्चातवर्ती प्रत्येक अपराध के लिए दस हजार रूपये से या कारावास से, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा। आदेश शासकीय योजनाओं के अंतर्गत किये जाने वाले नलकूप उत्खनन पर लागू नही होगा तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कार्ययोजनान्तर्गत नलकूप खनन का कार्य कराया जा सकेगा, इस हेतु उपरोक्तानुसार अनुज्ञा प्राप्त किया जाना आवश्यक नहीं होगा। नवीन खनित निजी नलकूप एवं अन्य विद्यमान निजी जलस्त्रोतों का आवश्यकता होने पर सार्वजनिक पेयजल व्यवस्था हेतु अधिनियम की धारा-4 के अंतर्गत अधिग्रहण किया जा सकेगा। यह आदेश 19 अप्रैल से लागू होकर 31 जुलाई 2022 तक प्रभावशील रहेगा।