एमपी बीजेपी में सब कुछ सामान्य नहीं दिख रहा, पूर्व मंत्री दीपक जोशी के अपने स्व पिता स्व कैलाश जोशी सहित कांग्रेस में जाने के बाद अंदर खाने खबरे कई और तरह की आ रही है। दीपक जोशी के जाने का मुख्य कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक नेता है और कमोबेश यहीं हालात समूचे मालवा की बीजेपी में पैदा होते दिखाई दे रहे हैं।
सिलसिलेवार तरीके से बात करें तो सबको पता है कि मालवा में सिंधिया का खासा आधार है, और उनके खांटी समर्थक नेता भी मालवा में पैर जमाये हुए है, ये तमाम नेता इस आस में ही बीजेपी में गए थे की महाराज उन्हें नवाजेंगे और वे विधायक का टिकिट पा जाएंगे। वैसे महाराज सिंधिया के कारण ग्वालियर चंबल बेल्ट में कुछ कम गदर नहीं मच रहा। वहां पार्टी के संभालने से नहीं संभल रही बात।
ठीक वहीं हालात मालवा में बनते दिखाई दे रहे हैं। बीजेपी में चुनाव लड़ने वालों की पूरी फौज दिखाई दे रही है, जानकार बताते हैं सांसद सुधीर गुप्ता खुद भी विधानसभा चुनाव लड़ने की ख्वाहिश रखते हैं, ताकि वे केबिनेट मंत्री बन सके और उनके पूरे जलवे झटके हो, लेकिन वे कहां से हाथ आज़मायेंगे अभी क्लियर नहीं हुआ है। यदि जावरा की बात करें तो वहां महाराज के खासुलखास केके सिंह पूरी तैयारी में है, जबकि वहाँ से सिटिंग एमएलए राजेंद्र पांडे हैं ठीक यहीं स्थिति गरोठ की है जहां महाराज समर्थक मुकेश काला हाथ आज़माने की पूरी तैयारी में है जबकि वहाँ बीजेपी के सिटिंग एमएलए देवीलाल धाकड़ है।
कमोबेश यहीं हालत नीमच के मनासा के है जहां महाराज के ख़ास विजेन्द्र सिंह मालाहेड़ा विधानसभा लड़ने की तैयारी में जुटे हैं, उनके समर्थकों का कहना है कि महाराज ने हरी झंडी दे दी है। इस खबर के बाद यहाँ से बीजेपी विधायक माधव मारु के केम्प में खलबली है। उनके कट्टर समर्थक कहते सुने जा रहे हैं की माधव भाई साहब का टिकिट कटा तो निर्दलीय लड़ेंगे यदि जावद की बात करे तो यहाँ महाराज समर्थक समंदर पटेल डेरा डाले है, उनके लोग कहते सुने जा रहे हैं कि महाराज ने तैयारी करने के आदेश दे दिए हैं, जबकि यहाँ से बीजेपी विधायक ओम प्रकाश सकलेचा शिवराज केबिनेट में मंत्री है।
लेकिन जावद में एक पेंच और है बीजेपी नेता पूरनमल अहीर का जो साफतौर पर कह रहे हैं कि टिकिट सखलेचा जी को मिले या फिर समंदर भाई को मैं जनता के आदेश पर निर्दलीय चुनाव लडूंगा। उनका कहना है कि मैंने तैयारी शुरू कर दी है वैसे जानकार बता रहे हैं कि यह पांसा फेंककर पूरन बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं ताकि उनको उम्मीदवारी मिल जाए पर उनका दमखम देख कर इतना साफ़ है कि वे निर्दलीय लड़ेंगे। इधर खबरे यह भी है कि कांग्रेस के पास जावद में कोई दमदार उम्मीदवार नहीं होने से कांग्रेस यहाँ पूरन पर हाथ रख सकती है, क्योकि पार्टी आलाकमान के पास जो खुफिया रिपोर्ट है उसमे उनके फ्रंटलाइन के टिकिट दावेदार चुनाव जीतते नहीं दिख रहे। ऐसे में कांग्रेस पूरणमल अहीर पर दांव आज़मा लें तो कोई अचरज की बात नहीं होगी।
कुलमिलाकर समूचे मालवा में कुछ इस तरह के हालात है कई कद्दावर बीजेपी के नेता पार्टी छोड़ कांग्रेस के पाले में जाने की तैयारी में है। काफी नेता कमलनाथ के सम्पर्क में है पर कांग्रेस अपने पत्ते धीरे-धीरे खोलेगी ऐसा जानकार बता रहे है, लेकिन इतना तो साफ़ है कि 2023 की राह बीजेपी के लिए आसान नहीं दिखती।