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May 11, 2023, 11:42 am
BIG NEWS : कांग्रेस प्रभारी नूरी खान एक्शन मोड में, जिला कार्यकारिणी के विस्तार पर लगाई तत्काल रोक, जिलाध्यक्ष की कार्यप्रणाली को लेकर कार्यकर्ताओं में उठे विरोध के स्वर, लिस्ट में दिखी पदों की बंदरबाट, पढ़े अब्दुल अली ईरानी के साथ कमलेश मांगरिया की खबर  

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नीमच। जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद अनिल चौरसिया को लगातार दबी जुबान में कांग्रेस नेताओँ और कार्यकर्ताओं का विरोध झेल रहे है। चाहे उनकी नियुक्ति धनबल के आधार पर हो या उनके द्वारा संगठन में किया जा रहा विस्तार हो, पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार टारगेट कर रहे है। ऐसे में जिले में कांग्रेस की गुटबाजी चरम पर है और सबके सामने उजागर हो रही है।

नीमच जिला कांग्रेस के प्रभारी को लेकर भी शीर्ष नेतृत्व को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी है। जहां पहले मुजीब कुरैशी को जिला प्रभारी बनाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में आपसी सामंजस्य बिठाने के लिये नियुक्ति की गई थी। लेकिन वो भी  नीमच प्रभारी बनने के बाद दागदार हो गए। उन पर पार्टी के ही पदाधिकारियों ने पैसे लेकर जिलाध्यक्ष नियुक्त करने का आरोप जड़ डाला। उसके बाद जिले के सहप्रभारी चंद्रशेखर शर्मा भी गुटबाजी के कारण ज्यादा दिन टिक नही पाए। 

जिले में कांग्रेस की हावी होती गुटबाजी को लेकर प्रदेश नेतृत्व ने तेज़ तर्रार और युवा नेत्री नूरी खान को जिले का प्रभारी बनाया। उनके आने के बाद जिले में मंडलम ओर सेक्टरों के प्रभारियों की नियुक्तियां हुई। हालांकि इन नियुक्तियों में भी गुटबाजी हावी रही और एक भी महिला कार्यकर्ता को इनमे जगह नही मिली। दिग्गी राजा के जिले के दौरे के दौरान भी यह मुद्दा उठा और दिग्गी राजा ने इस ओर अपना ध्यान भी दिया। लेकिन ब्लॉक अध्यक्ष से लगाकर अभी जिला कांग्रेस में कार्यकारिणी को लेकर नूरी खान एकदम से एक्शन मोड़ पर आ गई।

नूरी खान जिले की गुटबाजी को भांप गई और उन्होंने तत्काल प्रभाव से कार्यकारिणी विस्तार पर रोक लगा दी। अब जब विधानसभा चुनाव सर पर है ऐसे में जिलाध्यक्ष के अनूठे फैसले ओर खंड खंड में बंटी कांग्रेस को प्रदेश नेतृत्व ओर जिला प्रभारी कैसे हैन्डल करते है, यह एक विचारणीय प्रश्न है। लेकिन वर्तमान स्थिति की बात करें तो जहां सर्वे कांग्रेस के पक्ष में आते दिख रहे है ऐसे में जिले में कांग्रेस की हालत देखते हुए नहीं लगता है कि नतीजे नीमच के पक्ष आए। 

कांग्रेस की ज़िला कार्यकारिणी का सूक्ष्म परीक्षण करे उसके बाद विश्लेषण करेंगे तो बहुत कुछ विसंगतीया मिलेंगी-
क्या कांग्रेस गुटबाज़ी से मुक्त हो गई ?
क्या नीमच में कांग्रेस केवल व्यक्तिवादी राजनीति को पोषित कर रही हैं ..?
जो स्वयं विगत चालीस वर्षों से कांग्रेस के ज़िला स्तर के विभिन्न पदो पर रहने के बाद भी ज़मीनी कार्यकर्ताओं को नहीं पहचान पाये ?
लिस्ट में देखिये कितने लोगो ने विगत वर्ष हुए चुनाव में कांग्रेस के ख़िलाफ़ कार्य किया फिरभी उन्हें पदो से नवाज़ा गया..?

क्या ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष और प्रभारी के बीच समन्वय नहीं था जिसके कारण 6 मई 23 के आदेश को 10 मई 23 को लिस्ट के साथ घोषित किया गया, जबकी प्रभारी 9 मई 23 को पूरे दिन नीमच प्रवास पर थी और कांग्रेस के विभिन्न स्थानीय क्षत्रपों और लोगो से मिली। कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता दिग्विजयसिंह विगत अप्रैल माह में नीमच में जो पाँच सूत्र दे गये थे उनका कितना पालन ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष और क्षत्रपों ने किया। उल्टे क्षत्रपों और संघटन प्रमुख ने प्रभारी को गुमराह किया, जिसका परिणाम सामने हैं। 
उपरोक्त प्रश्नों के साथ कई तरह की चर्चा ज़िले के गाँव से लेकर नीमच शहर तक हो रही हैं। उपरोक्त फीडबैक कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े लोगो से से मिला है। 

सोशल मीडिया के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस कार्यकर्ता अपना दर्द बयान करते हुए कहते हुए दिखे कि नीमच ज़िला कांग्रेस और ज़िले के क्षत्रपो ने स्थानीय मुद्दों को पर तो कोई ज़मीनी आंदोलन विगत कई वर्षों से नहीं किया, लेकिन पद की बंदरबाट में पूरी शक्ति लगा कर व्यक्तिवादी राजनीति को चरम पर पहुँचा दिया। जनता राजनीति की इस कार्यशैली से मुफ़्त मनोरंजन कर रही हैं और कांग्रेस को गंभीरता से नहीं ले रही है जिसके परिणाम कांग्रेस लगातार विगत बीस वर्षों से मिल रहे है। 

कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नियुक्तियों को लेकर कहा कि कई वर्षो से पार्टी की सेवा कर रहे है लेकिन जब पद की बात आती है तो नेताजी के ख़ास को ही पद मिल जाता है। बाकि हम तो केवल दरी बिछाने के लिए ही है। जब कोई कार्यक्रम होता है या बड़ा नेता आता है तो केवल हमें गाड़ियों में भरकर भीड़ का हिस्सा बना दिया जाता है। अगर ऐसे ही गुटबाजी और पदों की बंदरबाट रही तो कैसे कांग्रेस जीतेगी।  

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