नीमच। जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव केलूखेड़ा में पात्र हितग्राहियों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यहां पात्र हितग्राही को कितना लाभ मिल रहा हैं इस बात का अंदाजा एक गरीब व्यक्ति समरथ मेघवाल की हालत व इनकी झोपड़ी देखकर लगाया जा सकता हैं। सरकारी कानून कायदों में फंसकर समरथ शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगा-लगाकर हताश हो गया।
केलूखेड़ा पंचायत में निवासरत समरथ मेघवाल अनुसूचित जाती वर्ग से हैं। गांव में ही कच्ची दीवारों से बनी एक झोपडी में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता हैं। झोपड़ी की छत त्रिपाल से ढंकी हुई हैं। गरीबी का आलम यह हैं कि झोपड़ी की एक दीवार गिरी हुई हैं, जिसको भी समरथ नहीं बनवा पा रहा हैं। मजदूरी करके परिवार पालने वाला दीवाल कैसे बनाए।
समरथ मेघवाल प्रधानमंत्री आवास योजना में सबसे बड़ा पात्र हैं। क्योंकि समरथ के पास न तो पक्का मकान हैं, ना मोटरसायकल हैं, ना टीवी हैं, ना शौचालय हैं और ना ही साइकिल हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पंचायत की सूची में समरथ का नाम भी दर्ज था, लेकिन उसे अपात्र घोषित कर दिया। उसकी पत्नी भी शासन की लाड़ली बहना योजना में पात्र हैं फिर भी उसे इस योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
समरथ, शासन की योजनाओं से मिलने वाले लाभ के चक्कर में अपनी मजदूरी छोड़कर कई बार पंचायत के चक्कर लगा चुका हैं। जिला स्तर पर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में भी आवेदन दे चुका हैं और यहां तक की क्षेत्रीय विधायक दिलीप सिंह परिहार को भी अवगत करा चुका हैं बावजूद अब तक समरथ की सुध लेने के लिए कोई आगे नहीं आया।
केलूखेड़ा पंचायत के सचिव प्रहलाद पाटीदार से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में समरथ मेघवाल का नाम सूची में था, लेकिन अज्ञात कारणों से पोर्टल ने अपात्र घोषित कर दिया। लाड़ली बहना योजना में समरथ की पत्नी ने आवेदन नहीं किया था, इसलिए उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। अब मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के फिर से आवेदन होंगे तब समरथ की पत्नी का आवेदन किया जाएगा। साथ ही इसी योजना के तहत आवास देने के लिए भी प्रक्रिया की जाएगी।