खातेगांव। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेमावर की लचर व्यवस्था ने एक आदिवासी प्रसूता की गोद सूनी कर दी। कॉल करने के दो घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची, जिसके चलते महिला को घर पर ही प्रसव करना पड़ा। नवजात की जन्म के तुरंत बाद मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार, नेमावर के वार्ड क्रमांक 12 में रहने वाली एक आदिवासी महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने 108 एंबुलेंस और जननी एक्सप्रेस के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेमावर को कई बार कॉल किया, लेकिन घंटों बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। मजबूरी में महिला ने घर के आंगन में ही बच्चे को जन्म दिया। लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं की समय पर उपलब्धता न होने के कारण नवजात ने दम तोड़ दिया।
परिजन मृत शिशु और प्रसूता को लोडिंग वाहन से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे और डॉक्टर व नर्स पर लापरवाही के आरोप लगाए।
ग्रामीणों ने बताया कि 40 से अधिक गांवों के लगभग एक लाख लोगों के स्वास्थ्य के लिए नेमावर का यही एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, जहां न तो समय पर डॉक्टर मिलते हैं और न ही एंबुलेंस सेवाएं। पूर्व में भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन अब तक जिम्मेदारों ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई।
ग्रामीणों का कहना है कि अगर एम्बुलेंस समय पर पहुंच जाती तो नवजात की जान बचाई जा सकती थी। सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर संचालन के दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। यह घटना सरकारी योजनाओं की पोल खोलने वाला ताजा उदाहरण बन गई है।
मेडिकल आफिसर का कहना है की डिलेवरी घर पर हो गई थी हमारी टीम लगातार परिजनों से संपर्क मे थी एंबुलेंस समय पर नही पहुंचने से यह घटना हुई है।