भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस में बड़ा सियासी भूचाल आ गया है। करीब 5 साल बाद सरकार गिरने का जिन्न फिर सामने आया है। मामले में कांग्रेस के दो दिग्गज, दो पूर्व मुख्यमंत्री आमने-सामने हो गए हैं। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने एक दूसरे को सरकार गिरने का जिम्मेदार बताया है। कांग्रेस की सियासी नूराकुश्ती में कूदी बीजेपी ने भी कांग्रेस पर हमला बोला है।
मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरी थी
दिग्विजय सिंह के आरोपों पर कमलनाथ ने कहा- ज्योतिरादित्य सिंधिया को ये लगता था सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं इसी नाराजगी में उन्होंने सरकार गिराई। दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को सरकार गिरने का जिम्मेदार बताया था। दिग्विजय सिंह ने कहा था सरकार चलाने को लेकर एक बड़े उद्योगपति के घर बैठकर कुछ पॉइंट तैयार किए गए थे। उद्योगपति के घर पर बैठकर जो प्लान बनाया गया था उस पर काम नहीं हुआ इसलिए सिंधिया ने सरकार गिराई थी। बता दें कि मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरी थी।
कमलनाथ के बयान से साफ है- दिग्विजय के कारण गिरी सरकार
कांग्रेस की सियासी नूराकुश्ती में कूदी बीजेपी ने कहा दृ कमलनाथ के बयान से साफ है कि दिग्विजय सिंह के कारण सरकार गिरी थी। कांग्रेस के घमासान पर भाजपा मीडिया विभाग के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने सोशल मीडिया ग् पर लिखा- ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराज़गी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिर गई। साथियों! अब तो सच्चाई सामने है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार मिस्टर बंटाधार चला रहे थे। सरकार पर माफियाओं और भ्रष्टाचार का शिकंजा था, कुशासन और अव्यवस्था का ही बोलबाला था।
जनता का विश्वास सिर्फ भाजपा पर
इसीलिए श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया जी ने ठान लिया -मध्यप्रदेश को बचाना है। सुशासन और विकास की पटरी पर लाना है और भाजपा की स्थिर व विकासोन्मुख सरकार बनाई। लेकिन आज कमलनाथ जी का यह स्वीकारोक्ति और भी बड़ी बात कहती है। कांग्रेस के भीतर गुटबाज़ी और कलह आज भी चरम पर है। इस गुटबाज़ी का सबसे बड़ा कारण फिर वही चेहरा दिग्विजय सिंह है। यही है नेहरू-इंदिरा की कांग्रेस की असली पहचान, सत्ता में हो तो भी नकारा, विपक्ष में हो तो भी नकारा। जनता का विश्वास सिर्फ भाजपा पर- सेवा, सुशासन और विश्वास पर।