धार। मध्य प्रदेश सरकार श्री कृष्ण से जुड़े स्थलों को धार्मिक पर्यटन से जोड़ने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में अमका झमका मंदिर पर महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ संस्कृति विभाग की ओर से सोमवार को एक परिचर्चा का हुई।
परिचर्चा में उज्जैन से आए पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का अमका झमका विकास समिति के सदस्यों ने स्वागत किया। पुरातत्वविद डॉ. रमण सोलंकी ने कहा कि मंदिर की शैली और परिसर में स्थित मूर्तियां हजारों वर्ष पुरानी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भगवान कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण नहीं, वरण किया था।
विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद सदस्य राजेश कुशवाह ने बताया कि श्री कृष्ण पाथेय के तहत उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कृष्ण से जुड़े स्थलों को विकसित किया जाएगा। इनमें उज्जैन का नारायणा, जानापावा और अमझेरा शामिल हैं।
अश्विनी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. आर.सी. ठाकुर ने कहा कि इस गौरवपूर्ण इतिहास को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने पर्यटकों और दर्शनार्थियों के लिए बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जन्माष्टमी पर अमका झमका तीर्थ के दौरे के दौरान गोकुल-मथुरा की तरह प्रदेश में भी कृष्ण से जुड़े स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी।