BIG NEWS : भाजपा का अबकी बार पांच लाख का टारगेट, कांग्रेस के परमार जीत के लिए कर रहे प्रयास, पढ़े पवन धाकड़ की खबर  

May 8, 2024, 11:59 am




रतलाम। लोकसभा चुनाव के लिए उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र के मतदाता 13 मई को अपने सांसद का चुनाव करने जा रहे हैं। देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले लोकसभा का चुनाव इस बार भगवा लहर वाला होता दिखाई देने के कारण मुकाबला कहीं भी टक्कर देने वाला नहीं दिख रहा है। फिर भी दोनों ही पार्टिया चुनावी रणनीति के तहत चुनाव लड़ती हुई दिख रही है। हालांकि पूर्व में जो चुनाव होते थे उनकी थोड़ी भी झलक कहीं से कहीं नहीं दिखाई दे रही है। झंडे, बैनर, पोस्टर, फ्लेक्स, से दूर यह चुनाव कोई खास मुद्दा लेकर जनता के बीच नहीं आया है। इस समय सिर्फ मोदी की लहर दिखाई पड़ रही है।  उज्जैन-आलोट सीट को भाजपा की परंपरागत सीट माना जाता है। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर अधिकांश समय भाजपा का कब्जा रहा है। यहां भाजपा के डॉ सत्यनारायण जटिया ने लंबे समय तक सांसद के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जिसमें वह केंद्र में मंत्री भी बने हैं। लोकसभा के एक चुनाव में देश में भाजपा की विरोधी लहर चली थी। जिसका कारण सांसदों का जनता के प्रति बर्ताव ठीक नहीं होने के कारण मजबूरन मतदाताओं ने उन्हें पराजित किया था। उस समय अधिकांश जगह कांग्रेस के सांसद बने थे। जिसमें उज्जैन से डॉ सत्यनारायण जटिया पराजित हुए थे। यहां प्रेमचंद गुड्डू चुनाव जीते थे लेकिन उसके बाद यहां भाजपा का ही दबदबा रहा है। इस बार यहां भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है।  अन्य प्रत्याशियों के कोई ठिकाने नहीं है। भाजपा ने मौजूदा सांसद अनिल फिरोजीया को एक बार और अवसर दिया है तो कांग्रेस में अन्य किसी नाम पर विचार ना करते हुए विधायक महेश परमार को उज्जैन में भाजपा के कमल को मुरझाने का जिम्मा सोपा है। टिकट मिलने के बाद महेश परमार पूरी ताकत से क्षेत्र में, कार्यकर्ताओं, जनता के बीच पहुंच कर इस सीट को भाजपा से हटाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं अनिल संगठन के सहारे जनता के बीच वोट मांगने निकले हैं। फिरोजिया का कार्यकाल केंद्र स्तर पर कई बड़ी उपलब्धियां लेकर आया लेकिन जनता के बीच उनका कहीं ना कहीं संपर्क कम रहा है जिससे उनके खिलाफ थोड़ी नाराजगी मतदाताओं की जरूर सामने आई है साथ ही क्षेत्र को वह बड़ी सौगात नहीं दिला सके हैं। इसका खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है। लेकिन देश में जिस तरह की मोदी लहर चल रही है उसमें हो सकता है मतदाता उनकी इन कमजोरी को भूलते हुए राष्टी हित में नरेंद्र मोदी के पक्ष में मतदान करें।  पिछला चुनाव भारतीय जनता पार्टी लगभग 3, लाख 65 हजार 71, वोट के आसपास जीती थी। 2019 में भाजपा के अनिल को 7 लाख 90 हजार 8670 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय को चार लाख 25 हजार 7960 वोट मिले थे। भाजपा ने इस बार अबकी बार 5 लाख पार का नारा दिया है। देखना है भाजपा का 5 लाख का जो टारगेट है वह कितना पूरा होता है? यदि महेश परमार जिस तरह से मतदाताओ के बीच पहुंचकर अपने पक्ष में मतदान करवाने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए बीजेपी इतने मतों से जीत का लक्ष्य कैसे हासिल कर पाएगी यह देखना है ? हालांकि मतदाता भाजपा के पक्ष में ही वोट करने के मूड में दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार की उपलब्धियां कई वर्षों से लंबित पड़े मामलों का मोदी सरकार में निराकरण होना आम जनता को भा रहा है। सोमवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ताल में रोड शो कर भाजपा की स्थिति में और अधिक मजबूती प्रदान करने का काम किया है। कांग्रेस की ओर से अभी किसी बड़े नेता की कोई सभा नहीं हुई है। जिससे वह मतदाताओं को प्रभावित करती हुई नजर आए ऐसा नही दिख रहा है। बताया जा रहा है कि जल्द किसी बड़े नेता की सभा होने वाली है। पूर्व में आलोट में सचिन पायलट जरूर सभा कर गए हैं। लेकिन उनका इतना प्रभाव क्षेत्र के मतदाताओं पर पढ़ना मुश्किल दिखाई देता है। आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार गति पकड़ते हुए दोनो पार्टियों के लिए पूरी ताकत लगाने वाला होगा। मतदाता में चुनाव को लेकर अधिक उत्साह नही है। मुकाबला भी बहुत कांटे का नहीं होने से चुनावी चर्चा भी शुन्य है। देखना है आगे क्या समीकरण बनते हैं।

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