KHABAR : जिन्हें आशा आश्रय ने दिया आशियाना वे अब पक्षियों को दे रहे हैं आसरा, भीषण गर्मी में निभा रहे अहम भूमिका, पढ़े खबर 

May 9, 2024, 3:50 pm




बड़वानी। हर किसी की चाह होती है कि वह अपने परिवार में रहकर ही अपने दैनिक क्रियाकलाप आजीविका आदि का संचालन करे, किंतु ऐसा अवसर हर किसी को प्राप्त नहीं होता है। पारिवारिक कारणों, स्वास्थ्यगत समस्या तथा अन्य अवसादग्रस्त परिस्थितियों के कारण जब कोई व्यक्ति मनोरोग की गिरफ्त में आता है तो वह अपनी चैतन्य अवस्था को खोकर अपने मूल निवास से भी कई बार विरक्त हो जाता है। कलेक्टर एवं आशाग्राम ट्रस्ट के अध्यक्ष की प्रेरणा से आशाग्राम ट्रस्ट के ट्रस्टी चौकसी वाला ज्वेलर्स के सहयोग से संचालित निराश्रित मानसिक रोगियों के आशा आश्रय गृह में सहज ही देखा जा सकता हैं।  यहां रहने वाले सभी मनोरोगियों को आशा आश्रय की टीम के द्वारा विक्षिप्त अवस्था में विभिन्न स्थानों से लाकर आशा आश्रय में चिकित्सा सहित समग्र पुनर्वास से जोड़ा है। यहां रहने वाला मनोउपचारित कोई 13 वर्ष से परिवार से लापता है तो कोई 5 वर्ष से अपने मूल परिवार से दूर है। आशा आश्रय से उपचार पाकर जब यहां के मनोरोगी ठीक होते हैं तभी उनसे उनके मूल परिवार की जानकारी मिलती है और वह विभिन्न प्रक्रियाओं को पूर्ण कर पुनः अपने परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। दो वर्ष की अल्पावधि में 31 मनोरोगी अपने परिवार में पुनः पहुंचाए जा चुके हैं। विश्व रेड क्रॉस दिवस के अवसर पर आशा आश्रय में बहुत ही भाव विभोर कर देने वाला दृश्य देखने को मिला जब उपचारित मनोरोगीयों ने पक्षियों के लिए आशियाना बनाते हुए नजर आए।  आशा आश्रय वासियों ने समाधान पाटील एवं साधना भावसार के मार्गदर्शन में पक्षियों के लिए सुंदर घर बनाकर उन्हें आश्रय गृह के परिसर में वृक्षों पर लगाया गया तथा दाना पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की । अपने स्वयं के परिवार एवं घर का महत्व जान चुके इन मनोरोगियों के द्वारा पक्षियों के लिए आसरा बनाना उनके मन से निकले भाव को प्रकट करता है। विश्व रेड क्रॉस दिवस पर आशा आश्रय परिसर के वृक्षों पर धूप से बचाव के लिए छोटे-छोटे घरों की आकृति के घोंसले बनाए गए जो सभी के लिए प्रेरणादाई सिद्ध हो रहे हैं।

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