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January 17, 2023, 5:43 pm
REPORT : जीरन के सती महादेव मन्दिर माफी की जमीन पर किया अवैध कब्जा, कलेक्टर तक पहुंची अवैध कालोनाईजर और भूमाफिया की शिकायत, अधिकारियों को दिए कार्रवाई के निर्देश, पढ़े खबर 

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नीमच। राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी कर अवैध कालोनाईजर और नगर परिषद जीरन के अध्यक्ष रामकरण सगवारिया ने जीरन के सती महादेव मंदिर के माफी की जमीन को निजी भूमि बताकर उस पर प्लाट काटकर बेच दिए। मामले में शिकायतकर्ता विजय शर्मा द्वारा उपलब्ध करवाए गए प्रमाणों के आधार पर संज्ञान लेते हुए अनुविभागीय राजस्व अधिकारी नीमच ने जांच उपरांत अपना प्रतिवेदन कलेक्टर महोदय के समक्ष प्रस्तुत जिसके बाद कलेक्टर ने सती महादेव मंदिर के माफी की जमीन पर प्लाट काटकर बेचने के मामले में मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 115 के तहत कार्यवाही करने का आदेश जारी किया है। शिकायतकर्ता विजय पिता गौरीशंकर शर्मा निवासी जीरन द्वारा कलेक्टर को शिकायती आवेदन दिनांक 10.06.2021 को प्रस्तुत कर निवेदन किया कि जीरन स्थित सती महादेव मंदिर की माफी की भूमि सर्वे नम्बर 2203 और 2204 है। उक्त भूमि के पीछे सर्वे नम्बर 2210 की भूमि में रामकरण पिता भेरूलाल सगवारिया व राजस्व अधिकारियों व पटवारी की मिलीभगत से माफी की भूमि 2203 एवं 2204 को नक्शे में पीछे कर सर्वे नम्बर 2210 को मेन रोड पर बताकर रामकरण सगवारिया द्वारा जो लोगो को बेच दिया। मामले में शिकायतकर्ता विजय शर्मा ने अपने पिता के पास मौजूद नक्शे की प्रति प्रस्तुत कर मन्दिर माफी की भूमि को अंदर की ओर बताकर किए गए विक्रय पत्र को निरस्त कर कार्यवाही करने की मांग की गई थी। जिस पर कलेक्टर द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे। शिकायती आवेदन जीरन तहसीलदार को प्रेषित किया गया जिसमे तहसीलदार जीरन ने कस्बा जीरन स्थित भूमि सर्वे नम्बर 2203,2210 की भूमियों को निजी स्वत्व की प्रमाणित होना बताया तथा सती महादेव मंदिर की भूमि सर्वे नम्बर 2204, 2206 पर स्वयं पुजारी का कब्जा है। तहसीलदार जीरन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मंदिर भूमि पर रामकरण सगवारिया का कब्जा नहीं है। जिस पर शिकायतकर्ता द्वारा दिनांक 23.08.2022 को पुनः आपत्ति प्रस्तुत की गई। जिस पर एसडीएम न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 41/ब-121/22-23 दर्ज कर सुनवाई हेतु दोनो पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया गया। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नीमच ने प्रस्तुत समस्त दस्तावेजों का अवलोकन कर विचारण उपरांत मुख्यतः निम्नांकित प्रश्न विचारणीय है।

पहला प्रश्न था क्या सर्वे नम्बर 2203 एवं 2210 शामिल है ? जिस पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा प्रतिवेदन में बताया गया कि नक्शा शीट में विभागीय नियमों के अनुसार सर्पाकार में सर्वे नम्बर अंकित है जिसमें नियमानुसार सर्वे नम्बर 2202 2203, 2204, 2205 2206 पूर्वाेत्तर से दक्षिण पश्चिम एक क्रम में फिर सर्वे नम्बर 2206 2207 2208 2209 उत्तर उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की आकृतियों को एक क्रम में पश्चात नियमानुसार सर्वे नम्बर 2210 2211 2212 2213 2214 उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व एक क्रम में अंकित है जो कि विभागीय नियमों के पूर्णतः अनुरूप है। उस क्रम में विवादित सर्वे नम्बर 2210 का सर्वे नम्बर 2203 और कि विभागीय नियमों के पूर्णतः अनुरूप है। उस क्रम में विवादित सबै नम्बर 2210 का सर्वे नम्बर 2203 और सर्वे नम्बर 2204, 2205, 2206 के मध्य में होना अतार्किक है, युक्तिसंगत नहीं है। अतः प्रस्तुत नक्शे के आधार पर सर्वे नम्बर 2203 और 2210 के नक्शे में या स्थल पर शामिल होने की कोई संभावना नहीं है। इसके अतिरिक्त वर्ष 1963 की सलग्न नकल के अनुसार सर्वे क्रमांक 2204 के साथ सर्वे क्रमांक 2205 चबूतरा राजाननजी सर्वे क्रमांक 2206 गजानन जी का कुआ दर्ज है जो मुख्य मार्ग पर स्थित है, तथा सर्वे नम्बर 2204 सतीदेवी मन्दिर गजानन वाला दर्ज है जो कि स्पष्ट इंगित है कि सर्व नम्बर 2204, सर्वे नम्बर 2205 और 2206 के साथ मुख्य मार्ग पर ही स्थित है। तत्समय खसरे में सर्वे नम्बर के साथ भूमि के निकटवर्ती पेड़, मूर्ति सडक इत्यादि भौगोलिक स्थिति को अंकित किया जाता रहा है, जैसे आम वाला, नदी वाला, मन्दिर वाला इत्यादी । गौर करने योग्य तथ्य यह है कि वर्ष 1963-64 के खसरों में भी सर्वे नम्बर 2203 और 2210 शामिल दर्ज नहीं है, अतः प्रतिप्रार्थी रामकरण सगवारिया का यह दावा की 70-80 वर्षों से दोनों सर्वे नम्बर मौके पर और अभिलेख में शामिल है आधारहीन पाया गया। उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि सर्वे नम्बर 2203 एवं 2210 का शामिल इंद्राज गलत है। प्रस्तुत नक्शे व पूर्व वर्षों के खसरों से इसकी पुष्टि नहीं होती है।

विवेचना में दूसरा प्रश्न था कि क्या शिकायतकर्ता द्वारा दर्शित मन्दिर माफी की भूमि सर्वे नम्बर 2203 और 2204 को पीछे बताकर निजी भूमि सर्वे नम्बर 2210 को हेराफेरी कर मुख्य मार्ग पर गलत तरीके से बताया गया है। इस पर विवेचना के अनुसार नियमानुसार सर्वे नम्बर 2203 एवं 2210 शामिल नहीं हो सकते। उपर्युक्त उल्लेखित खसरा इंद्राज के अनुसार गजानन वाला दर्ज होने से सर्वे नम्बर 2204 जो कि मंदिर माफी की माफी भूमि है, मुख्य मार्ग पर स्थित गजानन प्रतिमा का सर्वे नम्बर 2205 के निकट स्थित होकर सड़क पर स्थित होना चाहिए। तथा प्रतिपार्थी रामकरण सगवारिया का सबै नम्बर 2210 नम्बर 2204 के पीछे यांनी पूर्व दक्षिण में स्थित होना चाहिए जो कि मात्र कब्जे के आधार पर खसरे में शामिल करके सड़क पर माना जाना गलत है। जबकि सभी मन्दिर भूमियां सर्वे नम्बर 2204 2205 2206 एक ही सीध में सड़क पर है। जिनके साबिक नम्बर से भी यही स्पष्ट होता है कि मंदिर के एक पुजारी का कथन आधारहीन है। इसकी पुष्टि हेतु न तो पुजारी द्वारा और न ही प्रतिप्रार्थी रामकरण सगवारिया द्वारा कोई प्रमाण प्रस्तुत किया गया।

मामले के विचारण में तीसरा प्रश्न यह इंगित किया गया कि क्या प्रतिप्रार्थीगण द्वारा मुख्य मार्ग के किनारे विक्रीत की गई भूमियां तथा निर्माण कार्य अनाधिकृत रूप से कब्जा की गई मन्दिर माफी की भूमियां है। इस प्रश्न पर विचारण पश्चात प्रतिवेदित किया गया कि प्रतिप्रार्थी रामकरण सगवारिया द्वारा विक्रीत भूमियां मन्दिर माफी की भूमि पर कब्जा है जबकि उसका सर्वे नम्बर 2210 है जो कि माफी भूमि के पीछे स्थित है। प्रस्तुत प्रकरण में उक्त भूमि देवस्थान की होकर प्रबंधक कलेक्टर दर्ज होने से वस्तुस्थिति का प्रतिवेदन कलेक्टर को अवलोकन हेतु प्रेषित किया गया। प्रकरण में विचाराधीन भूमि पर अन्य लोगों के कब्जे प्रतिवेदित है।

मामले में कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि सर्वे न 2203 एवं 2210 का शामिल इन्द्राज गलत है इस पर म.प्र.मू.रा.स. 1959 की धारा 115 के तहत कार्यवाही की जाना उचित है। प्रकरण में प्रस्तुत नक्शे का सत्यापन कराया जाए तथा संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर जवाब लिया जाए की उसके पास नक्शा कहाँ से प्राप्त हुवा है एवं अन्य नक्शों की शीट को भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नीमच एवं अधीक्षक भू अभिलेख अभिलेखागार से एवं भू-अभिलेख से ढूँढने का प्रयास किया जाये।

प्रकरण में ग्राम जीरन स्थित सर्वे नं. 2203 2204 2205 2206, 2210 के क्रय-विक्रय पर रोक लगाई जाए । उक्त संबंध में जिला पंजीयक को आदेशित किया जाए की प्रश्नाधीन सर्वे नं. की भूमियों की जांच पूरी होने क या आगामी आदेश तक रोक रहेगी । प्रकरण में ग्राम जीरन स्थित सर्वे नं. 2203.2204, 2205 2206,2210 की भूमियों के केता एवं विक्रेता को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए नियमानुसार विकय पत्र की वैधाता के संबंध में कार्यवाही करें । मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगर परिषद जीरन को निर्देशित किया जाता है। कि जांच पूरी होने तक या आगामी आदेश तक उक्त भूमियों पर किस प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जायें तथा उक्त सर्व की भूमियां यथास्थिति में रखी जाये। कलेक्टर द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व नीमच को निर्देशित किया है की उक्त बिन्दु के संबंध में नियमानुसार कार्यवाही करना सुनिश्यित करें। वहीं इसी मामले में रामकरण सगवारिया ने सर्वे नम्बर 2203 में नो प्लाट काटकर बेचे गए है जबकि सर्वे क्रमांक 2203 एक आरी है, एक आरी में 9 प्लाट काटना संभव नही है। वहीं 9 प्लाट काटकर उनको बेचकर खुद को अवैध कालोनाईजर भी साबित कर दिया है। अवैध कालोनाईजर के तौर पर भी रामकरण सगवारिया पर कार्यवाही की जा सकती है।

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