खाचरौद। जब सभी भगवान के दर्शन करते हैं तो भगवान के दर्शन अलग अलग रूपो में ओर अलग अलग प्रकाश से करते हैं। जैसे रावण ओर कंस ने भगवान को शत्रु के रूप में देखा, भक्तों ने भगवान के रूप में, मा अपने पुत्र के रूप में, कोई भगवान को मित्र के रूप में दर्शन करते हैं, ओर भगवान को सब अलग अलग नजर से देखते हैं और भगवान की नजर उतारने के लिये भगवान की आरती की जाती है, भगवान और यज्ञ की प्रदक्षिणा का अपना अलग महत्व हैं, प्रदीक्षणा करने से जन्म जन्मांतर के पापो से मुक्ति मिलती है, इसलिए प्रदीक्षणा आवश्यक है पीठ के पीछे प्रणाम नही करना चाहिए, यह बात चापानेर में चल रहे सप्त दिवसीय पंच कुण्डीय यज्ञ के पंचम दिवश की आरती के दौरान यज्ञाचार्य श्रीनिलेश व्यास ने कही। यज्ञ के साथ ही प्रांगण में चल रही श्रीमदभागवत कथा में भगवान कृष्ण का बाल जीवन चरित्र कथावाचक श्रीमाधव मुखिया के द्वारा कथा के दौरान श्रवण करवाया गया। चापानेर ने 29 अप्रैल से सप्त दिवसीय पंच कुण्डीय यज्ञ ओर श्रीमद्भागवत कथा आयोजन चल रहा है, जिसका आज छठवां दिवश है और इसका समापन 5 मई को पूर्ण आरती के साथ होगा।