नीमच। मालवा मेवाड़ में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इसके साथ ही सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने भी अपनी सियासी जाजम बिछाना शुरू कर दिया है। बीजेपी साइलेंट किलर की तरह दबे पांव चुनावी तैयारियों को अंजाम दे रही है। इसी का एक उदाहरण कल मंगलवार को मेवाड़ के निम्बाहेड़ा में आयोजित हुए भाजपा के किसान सम्मेलन में देखने को मिला। जहां राज्य के सीएम भजनलाल शर्मा व राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने अफीम किसानों के लिए बड़ी घोषणा की। इससे ये साफ हो गया है कि इस बार बीजेपी कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के मुड में है।
मालवा-मेवाड़ की राजनीति में अफीम काश्तकारों का अहम रोल-
राजनीति के जानकारों की मानें तो मालवा-मेवाड़ में बड़ी संख्या में अफीम का उत्पादन होता है। यहां के अफीम काश्तकार हर चुनाव में अपना अहम रोल निभाते हैं। लेकिन खासकर लोकसभा चुनाव में अफीम किसानों का वोट सांसद को दिल्ली का रास्ता दिखाने में बहुत उपयोगी रोल निभाता है। इसीलिए यहां की राजनीति में भी अफीम किसान केंद्र बिंदू में रहते हैं।
मंच से वित्त राज्य मंत्री ने की ये बड़ी घोषणा-
राजस्थान के निम्बाहेड़ा में आयोजित किसान सम्मेलन में शामिल वित्त राज्य मंत्री ने अफीम काश्तकारों के लिए कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने मंच से कहा कि 2014 में देश में 18 हजार अफीम लाइसेंस थे। मोदी सरकार ने सांसद जोशी के अथक प्रयास से इन लाइसेंसों की संख्या को बढ़ाकर 1.05 लाख तक पहुंचा दिया है। अब केंद्र सरकार देश में 50 हजार अफीम के पट्टे बढ़ाने की तैयारी कर रही है। जल्द ही इसकी अधिकृत रूप से घोषणा भी हो जाएगी। वहीं सांसद सीपी जोशी ने भी कटे हुए पट्टों को बहाल करने की बात कही है।
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अफीम किसानों की मांग-
- सीपीएस पद्धति को समाप्त किया जाए।
- चीरा पद्धति को पुनः लागू किया जाए।
- अफीम का शासकीय मूल्य 15 हजार से अधिक किया जाए।
- डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर किया जाए।
- अफीम नीति को 3 व 5 वर्ष के लिए घोषित किया जाए।
- पाला व बेमौसम की वजह से कट्टे पट्टों को बहाल किया जाए।
- किसानों को नए अफीम के पट्टे जारी किए जाए।
- पुराने कटे हुए पट्टे 0 औसत पर दिए जाए।
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मालवा-मेवाड़ के सांसदों ने रखी ये मांग-
- 1 लाख 50 हजार पात्र कृषकों को लाइसेंस दिए जाए।
- डोडाचूरा के भंडारण के लिए प्रस्तावित कारखाने का निर्माण कराया जाए।
- 1995-96 से कटे हुए पट्टों को बहाल किया जाए।
- वर्ष 2013-14 की ओलावृष्टि के बाद कटे पट्टों को बहाल किया जाए।
- डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर निकालने के लिए कमेटी बनाई जाए।
- विभागीय आदेश की अवहेलना के कारण 1998 से रूके पट्टे जोड़े जाए।
- अफीम नीति अगस्त माह में तथा लाइसेंस सितंबर माह में जारी किए जाए।
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वॉईस ऑफ एमपी उठाता आया है अफीम किसानों की आवाज-
वॉईस ऑफ एमपी मालवा-मेवाड़ के अफीम किसानों की आवाज उठाता है। वॉईस ऑफ एमपी ने सबसे पहले 1995-96 में कटे अफीम के पट्टों को बहाल करने, डोडाचूरा को एनडीपीएस से बाहर करने, विदेश पोस्ते पर रोक लगाने की मांग करता आया है। अब ऐसा होता भी दिखाई दे रहा है। वॉईस ऑफ एमपी की मांगों पर ही आज बीजेपी के दिग्गज नेता अपनी सभाओं में घोषणाएं कर रहे हैं। इस बार की नई अफीम नीति में नए किसानों को भी खेती करने का अधिकार मिलना चाहिए। यह मांग भी वॉईस ऑफ एमपी ने प्रमुखता से उठाई है।