KHABAR : कार्य विभाजन आदेश से नाराज तहसीलदारों की उज्जैन में हड़ताल, कोठी महल कार्यालय के बाहर धरना पर बैठे, सिर्फ महाकालेश्वर सवारी में काम करने की चेतावनी, पढे़ खबर 

August 7, 2025, 5:57 pm




उज्जैन। जिले में कार्यरत तहसीलदार व नायब तहसीलदारों ने गुरुवार को काम बंद कर कोठी महल कार्यालय के बाहर धरना देकर हड़ताल शुरू कर दी। सभी राजस्व अधिकारी शासन के गैर न्यायिक व न्यायिक कार्य विभाजन के आदेश से नाराज है। बुधवार को सभी राजस्व अधिकारियों ने विरोध में डिजीटल हस्ताक्षर वाले डोंगल व सरकारी वाहन जमा कराते हुए गुरुवार से काम नहीं करने की चेतावनी दी थी। मानव संसाधन का दुरुपयोग होगा राजस्व अधिकारी कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की जिला इकाई के बैनर तले यह प्रदर्शन कर रहे हैं। जिले के तहसीलदार व नायब तहसीलदारों ने गुरुवार से कोठी महल कार्यालय के बाहर धरने देते हुए काम बंद कर हड़ताल की शुरुआत की। संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवीन कुंभकार ने बताया कि शासन ने एक योजना चलाई है। जिसमें राजस्व अधिकारी तहसीलदार व नायब तहसीलदार को दो विभागों में वर्गीकृत किया है। जिसमें एक राजस्व न्यायालयीन तहसीलदार रहेगा और एक न्यायालयीन तहसीलदार रहेगा। कुंभकार ने कहा कि, यह योजना प्रोटोकाल की ड्यूटी कराने के उद्देश्य से लाई गई है। हमारा मानना है कि इसमें मानव संसाधन का दुरूपयोग होगा। एक ही संवर्ग में दो कार्य विभाजन उचित नही है। हम सभी विरोध प्रदर्शन करते हुए कार्य से विरक्त है। जब तक हमारी मांग पर सकारात्मक जवाब नहीं मिलता है। तब तक हम लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। आदेश के संबंध में पूर्व में हमारे द्वारा राजस्व मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया है। इस आदेश का हो रहा विरोध शासन ने कुछ दिन पहले तहसीलदार व नायब तहसीलदारों के कर्तव्यों को दो भागों में गैर न्यायिक और न्यायिक में विभाजन के आदेश से जारी किए हैं। जिसमें आधे अधिकारी सुबह से शाम तक कोर्ट में राजस्व के प्रकरणों की सुनवाई करेंगे। बाकी के आधे अधिकारी प्रोटोकाल, पंचनामा, चक्काजाम खुलवाना, मृतकों के मामले में कथन लेने आदि से जुड़े कार्य करेंगे। 28 तहसील न्यायालय में 32 राजस्व अधिकारी जिले में करीब 32 तहसीलदार व नायब तहसीलदार है, जो 28 तहसील कोर्ट में बैठकर राजस्व से जुड़े प्रकरणों की सुनवाई करते हैं। प्रतिदिन 1200 से 1400 प्रकरणों की सुनवाई होती है। यदि अधिकारियों ने काम बंद रखा तो प्रकरणों की सुनवाई में रुकावट आने के साथ ही विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र बनाने व कानून व्यवस्था से जुड़े कामों में भी दिक्कत हो सकती है।

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