चित्तौड़गढ़। आज के बदलते परिवेश में मोबाइल एवं अन्य पाश्चात्य संस्कृति की देन से बालक-बालिकाएं सुसंस्कारित होने के बजाय बिगड़ते परिवेश की ओर जा रहे हैं। ऐसे माहौल में शिक्षक एवं संस्था प्रधान को हस्तक्षेप करते हुए उन्हें सही दिशा दिखाते हुए संस्कारित करने का कार्य करने का जिम्मा शिक्षकों का है जिसे वे काफी हद तक करने में सफल भी हुए हैं।
उक्त विचार राजस्थान धरोहर संरक्षण अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत ने संस्था प्रधान की तृतीय ब्लॉक स्तरीय वाक्पीठ राउप्रावि गाड़ी लौहार में उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए व्यक्त किये। इस अवसर पर उन्होंने राज्य सरकार द्वारा बजट एवं अन्य घोषणा पर भी ध्यान आकर्षित किया। अध्यक्षता सीबीईओ जयारानी राठौड़ ने की। विशिष्ठ अतिथि के रूप में भदेसर मण्डल अध्यक्ष महावीर सिंह, पार्षद संदीप सिंह सम्मी, एसीबीईओ शम्भूलाल सोमानी, वाक्पीठ अध्यक्ष राजेन्द्र निमावत, सचिव दिनेश सालवी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत उद्बोधन राजेन्द्र निमावत ने दिया। स्थानीय विद्यालय की बालिकाओं ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत किशनलाल सालवी, सत्यनारायण पावटिया, बसंत भराड़िया, लीलाराम धोबी, अम्बालाल जीनगर, रविन्द्र बैरवा, नारायण सिंह शक्तावत, रवि मोहनपुरिया, इन्द्रा शर्मा, नोसर जाट, सुरेश खोईवाल, रतनलाल सालवी, पारस टेलर, कमल गुर्जर ने किया।
गुरूवार को महेश नुवाल ने शाला प्रबन्धन, कमलेश दायमा एसएमए पोर्टल पर कार्य करने, कृष्णा माली शालादर्पण पोर्टल तथा दिनेश सालवी ने एनआईएलपी पर अपनी वार्ता प्रस्तुत की। संचालन दिनेश सालवी, हंसराज सालवी ने किया।