नीमच। अफीम की वैध खेती वाले एमपी में सीपीएस पद्धति में अब ये मशीन करेगी कमाल। इस मशीन में किसान का डोडा डालकर उसे दबाकर ठोस रूप में बेग में पैक किया जाएगा। नीमच में ये मशीने आ चुकी है, इसे विशेष तौर पर बनाया गया है, ताकि डोडा ज़्यादा जगह न घेरे।
नारकोटिक्स विभाग की ओर से इस बार सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती करने वाले पट्टा धारकों के बिना चीरे लगे साबुत डोडों को बॉक्स वेलर मशीन से निकाला जाएगा। नीमच में यह प्रयोग पहली बार किया जाएगा। सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती करने वाले पट्टाधारक किसानों को साबुत डोडे नारकोटिक्स विभाग को सौंपने होंगे। विभाग की टीम इन डोडों को बॉक्स वेलर मशीन से संकुचित करेगी। इससे एक ही दिन में करीब सौ से सवा सौ किसानों के डोडों का तौल हो सकेगा। संकुचित डोडे जगह भी कम घेरेंगे। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों की बैठक भी होगी। वैसे अफीम रखने के लिए तो कंटेनर का उपयोग किया जाता रहा है। लेकिन इस बार सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती के लिए भी पट्टे जारी हुए हैं। ऐसे में विभाग को साबुत डोडे लेने होंगे। विभाग के इस नवाचार से परिवहन खर्च में भी कमी आएगी।
नारकोटिक्स विभाग की टीम द्वारा सीपीएस पद्धति के डोडों का निरीक्षण भी किया जाएगा। जो डोडे सूख चुके हैं, उन्हें परखा जाएगा। डोडो पर किसी तरह का चीरा तो नहीं लगाया गया, इसकी जानकारी ली जाएगी। फिर अधिकारियों की उपस्थिति में ही 8 इंच तना सहित डोडे तोड़े जाएंगे। फिर इसमें छेद कर पोस्त निकाल लिया जाएगा और तना सहित दोनों को बोरों में भरकर घर पर ही रखना होगा। तुलाई के दौरान किसानों को यह डोडे लेकर केंद्रों में पहुंचना होगा। हर तौल केंद्र पर बॉक्स वेलर मशीन लगाई जाएगी।