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June 7, 2023, 12:26 pm
KHABAR : जैव विविधता को बचाने के लिए पौधों एवं जन्तुओं के बीच संबंध स्वस्थ होना जरूरी, जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. किशोर पंवार ने कहा, पढ़े खबर 

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बडवानी। जीवित और अजीवित दो प्रकार के घटक होते है। पौधे, मनुष्य, और जीव-जन्तु पर्यावरण के जीवित घटक है। ये इस पृथ्वी पर जैव विविधता का निर्माण करते है। इनका आपस में बहुत ही गहरा रिष्ता होता है। अपना अस्तित्व बचाएॅं रखने के लिए तथा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए इन सभी बीच के स्वस्थ संबंध होना बहुत जरूरी है। होल्कर विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर के सेवा निवृत्त प्राध्यापक डॉ. किषोर पॅवार ने 05 जून को वनस्पति विभाग एवं इको क्लब द्वारा आयोजित पर्यावरण जागरूकता प्रषिक्षण कार्यक्रम के समापन दिवस पर उक्त बाते कही। उन्होंने बताया कि पौधों और जन्तुओं के अंतर्सम्बन्ध सकारात्मक व नकारात्मक होते है। सकारात्मक संबंधों के उदाहरण है, सहजीविता, सहभोजिता, सहयोगात्मक। नकारात्मक संबंधों के उदाहरण है, प्रतियोगिता, परजीविता, षिकार, प्रतिजीविता। सहजीविता में दलहनी पौधों की जडों में पाये जाने वाले बैक्टीरिया, जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण, कई पौधों की जडों में पाई जाने वाली लाइकेन, माइकोराइजा, परागण करने वाले पक्षी, कीट, तितली, मधुमक्खी तथा दीमक की आहार नलिका में पाये जाने वाले प्रोटोजोआ को रखा जा सकता है, जिसमें दोनों पक्षों को एक दूसरे से भोजन व आवास की दृष्टि से लाभ पहुॅंचता है। सहभोजिता में केवल एक पक्ष को लाभ मिलता है जैसे- कई मोटी लताएॅं सहारे के लिए बडे वृक्षों का सहारा ले लेती है। आर्किड हमेषा दूसरे पौधों वृक्षों पर उगते है तथा लवण, नमी एवं आवास प्राप्त करते है। बगुले पालतु पषुओं के षरीर पर उपस्थित परजीवी सूष्म जीवों को खाकर एवं जुताई के दौरान मिटटी के कीडे मकोडों को खाकर सफाई का काम करते है। नकारात्मक संबंधों में भोजन, आवास, घोसले इत्यादि के लिए एक पक्ष दूसरे पक्ष पर परजीवी होता है जैसे- सांगवर्ड पक्षी के षरीर पर परजीवी के रूप बडी संख्या में किलनियॉं पाई जाती है। इसी प्रकार फंगस भी परजीवी के रूप में पाई जाती है। षाकाहरी और मांसाहारी जंतुओं के बीच षिकार और षिकारी का संबंध होता है। कुछ पौधे जैसे-कलष पादप, डायोनिया, ड्रोसेरा, कीटभक्षी पौधे होते है। लेकिन सकारात्मक और नकारात्मक सभी संबंधों का प्रकृति व पर्यावरण के लिए विषिष्ट महत्व होता है। इको क्लब समन्वयक डॉ. वीणा सत्य ने बताया कि प्रषिक्षण कार्यक्रम 12 दिवसों तक संचालित किया गया जिसमें व्याख्यान , बेस्ट फ्राम वेस्ट पर कार्यषाला, जल संरक्षण के अंतर्गत छतों पर वर्षा जल का संग्रहण, भूजल रिचार्ज पिट का प्रदर्षन,नवीनीकृत ऊर्जा के अंतर्गत सोलर पेनल एवं एलईडी. लाईट का प्रदर्षन, विलुप्तप्राय प्रजातियों को रक्षा सूत्र बांधना, पक्षियों के लिए सकोरे बांधना, स्वस्थ्य जीवन षैली के अंतर्गत मिलेट्स का महत्व एवं प्रदर्षन, तम्बाकू एवं इसके उत्पादों का उपयोग न करना, ई-वेस्ट कम करने हेतु क्लाउड स्टोरेज का उपयोग करने हेतु कार्यषाला, छात्रावास में छात्राओं को संपोषी भोजन प्रणाली अपनाने हेतु किचन गार्डन का प्रषिक्षण इत्यादि गतिविधियॉं आयोजित की गई तथा प्लास्टिक की थैलियांे का उपयोग न करने संदेष के साथ कपडे की थैलियॉं वितरित की गई। इस कार्यक्रम की संयोजक डॉ. ष्वेता कटियार ने बताया कि लगभग 50 विद्यार्थियांे को सहभागिता के प्रमाण पत्र वितरित किये गये। विषय विषेषज्ञों को भी प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये। 03 एवं 04 जून को ई-क्विज प्रतियोगिता के संयोजक डॉ. पकज कुमार पटेल ने बताया कि विजेताओं में प्रथम कमलेष नरगॉवे द्वितीय रीना मंडलोई तथा तृतीय रोमी सोलंकी रहें। इनकों ऑनलाईन माध्यम से खातों में पुरस्कार राषि स्थानांतरित की जायेंगी। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. दिनेष वर्मा ने भी विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भूपेन्द्र भार्गव ने किया। कार्यक्रम में डॉ. अभिलाषा साठे, डॉ. ष्याम नाईक, डॉ. एम.एस. मोरे, डॉ. रानी वास्केल, प्रो. सुधा पंडित, श्रीमति रिददी मुजाल्दे तथा बडी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
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