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June 25, 2023, 1:53 pm
BIG NEWS : विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका, प्रदेश के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह तोमर ने दिया इस्तीफा, जानिये क्या बताई वजह, पढ़े खबर 

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खंडवा। भाजपा के टिकट पर मांधाता विधानसभा सीट से 2018 का चुनाव लड़ने वाले नरेंद्र सिंह तोमर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया हैं।‌ वे कांग्रेस के नारायण पटेल के सामने चुनाव हारे थे। ऑपरेशन लोटस में पटेल ने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन की थी और उपचुनाव लड़ा था। इसके बाद वे फिर विधायक बने थे। तोमर इसी बात से खफा चल रहे थे, यहीं वजह है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें पर्यटन निगम में उपाध्यक्ष का पद देकर राज्यमंत्री का दर्जा दिलाया था। लेकिन विगत 21 जून को उन्होंने प्रदेश की राजधानी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस्तीफा पेश कर दिया।

आपसी गुटबाजी की वजह से दिया इस्तीफा-
नरेंद्रसिंह तोमर के पार्टी से इस्तीफे वाले निर्णय को आपसी गुटबाजी के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। मांधाता की राजनीति के जानकार बताते हैं कि, उन्होंने सिर्फ अपनों को चुनौती देने के लिए यह कदम उठाया है। वे कभी भी पाला नहीं बदलेंगे। यानी वे कांग्रेस ज्वाइन नहीं करेंगे। क्योंकि इस्तीफा दिए चार दिन हो गए हैं, ना कांग्रेस ने तोमर से संपर्क किया और ना ही तोमर ने कांग्रेस नेतृत्व से। उन्होंने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिया है। वे अपने आफिशियल नंबर से सिर्फ सुबह के समय अपने करीबियों से बात कर रहे हैं।‌ एक समाचार पत्र को दिए बयान में नरेंद्र तोमर बताते हैं कि, उन्हें भाजपा ने सबकुछ दिया है। पार्टी के टिकट पर मांधाता सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2003 में ठाकुर राजनारायण सिंह पुरनी और 2018 में नारायण पटेल से चुनाव हार गए।

अपने लिए जिलाध्यक्ष पद की आकांक्षा-
मांधाता की राजनीति में सक्रिय एक जानकार बताते हैं कि, नरेंद्रसिंह तोमर का पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय स्वयं का ही है। वे भाजपा छोड़कर कोई दूसरी पार्टी ज्वाइन नहीं करेंगे। ना ही वे 2023 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार होंगे। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक नारायण पटेल को 2023 में भाजपा से टिकट ना मिले। दूसरी बात यह कि वे खुद भी टिकट की आस नहीं कर रहे हैं। वे इतने तो सुलझे हुए नेता हैं और जानते हैं कि भाजपा उन्हें दो बार मौका दे चुकी है। अब केवल और केवल नारायण पटेल को टिकट ना मिले जाए। फिलहाल वे खुद का भविष्य भी सुरक्षित करना चाह रहे हैं।

वे यह भी चाहते हैं कि भाजपा के वर्तमान जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनकी जगह सामान्य वर्ग के नेता को जिलाध्यक्ष का पद दिया जाए। इस हिसाब से वे खुद ही जिलाध्यक्ष के पद के हकदार हैं। इसके पीछे मायने यह भी है कि सेवादास पटेल और नारायण पटेल दोनों गुर्जर समाज से है। यदि विधानसभा चुनाव के दौरान सेवादास पटेल जिलाध्यक्ष रहते हैं तो वे नारायण पटेल के टिकट के लिए संगठन की ओर से सिफारिश करेंगे। यहीं नरेंद्रसिंह तोमर की चिंता है, यदि वे संगठन में आते हैं तो पार्टी फोरम में नारायण पटेल की दावेदारी का विरोध करेंगे। खास बात यह है कि जिस दिन नारायण पटेल ने पत्रकारों से कहा कि, वे ही 2023 के भाजपा उम्मीदवार होंगे, उसी दिन नरेंद्रसिंह तोमर भोपाल में थे, उन्होंने पटेल और भाजपा को चुनौती देने का फैसला कर लिया।

बता दें कि नरेंद्रसिंह तोमर खंडवा विधानसभा के केहलारी ग्राम के निवासी हैं। 2003 में केहलारी ग्राम निमाड़खेड़ी विधानसभा में आता था। 2008 में परिसीमन हुआ और निमाड़खेड़ी विधानसभा को मांधाता विधानसभा का नाम मिल गया।‌ तोमर के कांग्रेस में जाने की अटकलों को लेकर जानकार बताते हैं कि, 2003 के चुनाव में वे सिर्फ 3 हजार वोट से हारे थे। 2008 में उनका टिकट काटकर लोकेंद्रसिंह तोमर को दिया गया। 2018 में हारे और 2019 के उपचुनाव में फिर टिकट काटकर पटेल को टिकट दिया। यानी उन पर 2008 के बाद 2019 में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। तब उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन नहीं की तो अब 2023 में क्यों करेंगे। तोमर खंडवा कृषि उपज मंडी और एनएचडीसी के डायरेक्टर रह चुके हैं।

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