नीमच। आज नीमच की सबसे जटिल बंगला बगीचा एरिया की समस्या के समाधान के लिए शासन को प्रस्ताव भेजने के लिए बैठकर केवल चर्चा की गई। नगरपालिका चुनाव से पहले यह वादा किया गया था कि परिषद का गठन होते ही पहली बैठक में इस समस्या का समाधान करने हेतु प्रस्ताव लाया जाएगा। परिषद बनने को करीब 1 वर्ष पूरा होने आया।परिषद की छठी बैठक में बंगला समस्या पर चर्चा कर शासन को प्रस्ताव भेजने का विषय शामिल किया गया।
भाजपा की नगरपालिका को विधानसभा चुनाव के ऐन पहले नीमच के 70000 बंगला रहवासियों की समस्या की याद आई।व्यवस्थापन नियमों में संशोधन व सरलीकरण संबंधी प्रस्ताव शासन को भेजे जाने पर विचार विमर्श हुआ। जीनू मेहता, राजेश लालवानी, वीरेंद्र पाटीदार और योगेश प्रजापति ने जनहित के दृष्टिकोण से अपनी बातों को विस्तार से रखा।लेकिन इस पर मात्र चर्चा हुई।किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा गया। मोटे तौर पर अपंजीकृत दस्तावेजों को पंजीकृत करने, लिंक रजिस्ट्री का प्रावधान हटाने,लीज रेंट और प्रीमियम की राशि कम करने और आवेदनकर्ता की अंतिम तिथि को बढ़ाने और बंगलो में पूर्व में निर्मित भवनों का यथास्थिति में व्यवस्थापन करने पर चर्चा हुई।
राज्य और नगरपालिका पर भाजपा की सरकार लंबे समय से काबिज है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं समस्या के समाधान का नीमच की जनता के बीच वादा किया था। नगर पालिका चुनाव में भाजपा को अधिकांश वोट बंगला रहवासियों ने इस उम्मीद से दिए थे कि यह परिषद इस समस्या का निराकरण करेगी। लेकिन विधानसभा चुनाव के नजदीकी समय में केवल चर्चा के लिए प्रस्ताव लाया जाना भाजपा की नियत पर सवाल खड़ा करता हैं।
बैठक में हाट मैदान की 19 दुकानों पर भी तीखी बहस हुई।लीज नवीनीकरण के प्रस्ताव पर जमकर हंगामा हुआ। अध्यक्ष की डायस पर टेबलें ठोककर माइक की छीना झपटी कर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। हंगामा इतना बढ़ गया कि नगरपालिका अध्यक्ष स्वाति चौपड़ा को 5 मिनट के लिए बैठक स्थगित करनी पड़ी। राजेश लालवानी ने पूरी मीटिंग में फर्श पर बैठकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। पेयजल कनेक्शन के बिलों की वसूली को लेकर जलकल सभापति छाया जायसवाल और भाजपा के पार्षद रूपेंद्र लोक्स आपस में ही जमकर उलझ गए।
एम ओ एस, नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही पर भाजपा के ही सभापति मनोहर मोटवानी जमकर बरसे।आज की बैठक को लेकर नेता प्रतिपक्ष योगेश प्रजापत ने कहा 'बंगला बगीचा को लेकर कोई सर्वानुमति बैठक में नहीं बनी।जब निर्णय शासन स्तर पर ही होना है तो परिषद बुलाकर माथापच्ची करने का औचित्य क्या है? नगर पालिका अध्यक्ष स्वाति चोपड़ा बैठक को सफल बता कर बोली की चर्चा के आधार पर मसौदा तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। व्यवस्थापन नियमों में सरलीकरण होते ही समाधान हो जाएगा।यहां पर सवाल उठता है कि यह होगा कब?