इंदौर। मप्र स्टेट बार काउंसिल (जबलपुर) ने इंदौर बार एसोसिएशन के समानांतर बनी एडवोकेट वेलफेयर कमेटी को 31 जुलाई को भंग कर दिया है। इस मामले में इंदौर बार एसोसिएशन ने स्टेट बार काउंसिल को शिकायत की थी। मामले में कमेटी के सदस्य ने भी अस्टेट बार काउंसलिंग को इसका पत्र के माध्यम जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि इंदौर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने व्यक्तिगत शिकायत कर स्टेट बार को गुमराह किया है। इसके बाद मंगलवार दोपहर को स्टेट बार कॉउंसिल ने अपने 31 जुलाई के आदेश पर खुद ही स्टे दे दिया। अब मामला आगामी कार्यकारिणी समिति की बैठक में रखा जाएगा।
दरअसल तीन साल पहले काउंसिल ने इंदौर बार एसोसिएशन की तत्कालीन कार्यकारिणी मण्डल को भंग कर के निष्पक्ष चुनाव तथा फोटोयुक्त मतदाता सूची से करवाने के उद्देश्य से एक तदर्थ कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने अधिकार से परे जाकर एक एडवोकेट वेलफेयर कमेटी का गठन कर दिया। इस कमेटी के गठन को इंदौर बार एसोसिएशन की विशेष साधारण सभा में पहले से ही नकार दिया गया था। फिर भी तदर्थ कमेटी के संयोजक कमल गुप्ता ने बिना किसी अधिकार के एडवोकेट वेलफेयर कमेटी के नाम से इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर के समानांतर इसका संचालन शुरू कर दिया। यह कमेटी वकीलों से अधिवक्ता कल्याण निधि के प्रत्येक टिकट पर वेलफेयर के नाम पर 30 रु. लेने लगी थी।
इंदौर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल कचोलिया के बताया कि 2020 में बार के तत्कालीन कार्यकारिणी मण्डल ने अपनी एक बैठक में तय किया था कि एडवोकेट कमल गुप्ता द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन के अनुसार अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट का विक्रय अभिभाषक वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा। अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट के मूल्य 40 रूपए के अलावा वेलफेयर के लिए अलग से धनराशि भी प्रत्येक टिकट पर ली जाएगी। खास बात यह है कि जब इस प्रस्ताव के अनुमोदन के लिए इंदौर बार की विशेष साधारण सभा आहूत की गई तो सभा में उपस्थित अधिकांश सदस्यों ने इंदौर बार एसोसिएशन के समानांतर इस कमेटी गठन के प्रस्ताव और वेलफेयर के नाम पर अतिरिक्त धनराशि लेने के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करते हुए बहुमत के साथ प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।