उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान में लोकायुक्त का एक नया पत्र पहुंचने के बाद फिर हड़कंप मचा है। इस बार भी लोकायुक्त ने 15 बिंदूओं पर 7 दिन में जानकारी मांगी है। दरअसल इस बार जो जानकारी मांगी है वह संस्थान में हुए एक भुगतान को लेकर है। संस्थान निदेशक ने कहा कि समय सीमा में जानकारी दी जा रही है।
विक्रम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान की पीएचडी प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली का मामला लोकायुक्त पहुंचा है। लोकायुक्त ने जांच के बाद आठ लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। वहीं इसी संस्थान के एक नए मामले में लोकायुक्त ने 15 बिंदूओं पर जानकारी मांगी है। इस बार शिकायत संस्थान में ही कार्यरत एक अतिथि शिक्षक को संस्थान निदेशक द्वारा किए गए नियम विरूद्ध भुगतान को लेकर है। भुगतान और निदेशक द्वारा दी गई स्वीकृति के प्रमाण सहित शिकायत होने के बाद लोकायुक्त ने 7 दिन में जानकारी मांगी है। हालांकि इस मामले में शिकायतों के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने संस्थान निदेशक डॉ.डीडी बेदिया को संस्थान से हटाकर एमबीए संस्थान में पदस्थ कर दिया है। डॉ. बेदिया की जगह डॉ. संदीप तिवारी को इंजीनियरिंग संस्थान का निदेशक बनाया गया है। मामले में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि लोकायुक्त से पत्र पहुंचा है। निदेशक को जानकारी देने के लिए कहा है। वहीं संस्थान के निदेशक डॉ. तिवारी ने बताया कि लोकायुक्त से 15 बिंदुओं के संबंध में जानकारी मांगने का पत्र मिल गया है। समय सीमा के अनुसार लोकायुक्त को जानकारी दी जा रही है।
विक्रम विश्वविद्यालय के शालिग्राम तोमर छात्रावास में शुक्रवार देर शाम को एक छात्र की तलाश में पुलिस पहुंची थी। हालांकि पुलिस कर्मियों ने हॉस्टल में जाने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों को सूचना दी थी। इसके बाद विद्यार्थी कल्याण संकाय अध्यक्ष डॉ. एसके मिश्रा के साथ पुलिसकर्मियों ने हॉस्टल के कुछ कमरों में एक छात्र की तलाश की थी। पुलिस को जिस छात्र की तलाश थी उसके बारे में सूचना मिली थी कि वह हॉस्टल में रह रहा है। पुलिस को तलाशी के दौरान छात्र नही मिला।