जावद। प्रदेश भर में 17 नवंबर 2023 को चुनाव होना निर्वाचन आयोग द्वारा तय किया गया है और साथ ही चुनाव की तारीख के घोषित होने पर पूरे प्रदेश भर में आचार संहिता भी लागू हो गई है। आचार संहिता का उल्लंघन करना एक संगीन अपराध है। आचार संहिता का उल्लंघन ना हो इसकी सभी को ध्यान रखना चाहिए। किंतु जावद नगर परिषद द्वारा आचार संहिता का धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है।
मामला यह है कि शहर के कुछ क्षेत्रों में नगर परिषद द्वारा कब्जेशुदा जमीनों के पट्टे बांटे जा रहे है। नगर परिषद कर्मचारी पिछले 4 दिन से वार्ड पांच के कुछ क्षेत्रों में आवेदकों को पट्टे प्रदान कर रहे हैं। आरोप है कि चुनावी माहौल को देखते हुए राजनीतिक फायदा उठाने को लेकर दबाव में कर्मचारी रात के अंधेरे में डोर टू डोर पट्टे पहुंचाने के काम में जुटे हैं। पट्टों के दस्तावेजो पर सब डिविजनल ऑफीसर की मोहर भी लगी है। लेकिन जारी किए जाने की तारीख और गवाह का कॉलम खाली है, जबकि बिना तारीख कोई डॉक्यूमेंट वैध नहीं होता।
सूत्रों के अनुसार चुनाव के बाद तारीख डालने का झांसा दिया जा रहा है। मामले की जानकारी जैसे ही कांग्रेस नेता समंदर पटेल को लगी उन्होंने आचार संहिता का खुला उल्लंघन करार देते हुए नगर परिषद सीएमओ जगजीवन शर्मा से संपर्क साधा तो शर्माजी के पसीने छूट गए और वे निशब्द हो गए। पटेल ने इस मामले में निर्वाचन विभाग को भी शिकायत की है।
समंदर पटेल ने बताया कि यह लोगों के साथ धोखा है। आखिर अभी ऐसी क्या आफत आ गई जो बिना तारीख के पट्टे जारी किए जा रहे है। निश्चित ही यह लोगों को बरगलाने की कोशिश है। बिना तारीख के पट्टे की कोई वैधानिकता नहीं है और वह मात्र कोरा कागज़ है। कल्लाबावजी रोड, स्टेशन रोड और आईटीआई रोड क्षेत्र में पिछले 4 दिन से क्षेत्रीय पार्षद और कर्मचारी रात के अंधेरे में घर-घर दस्तक देकर लोगों को पट्टे थमा रहे है। पट्टों पर किसी प्रकार की तारीख नहीं देखकर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई तो उन्हें चुनाव के बाद तारीख डालने की बात कही गई। कल शाम जब नगर परिषद की इस कारगुजारी का खुलासा हुआ तो कांग्रेस हरकत में आई। मामले को लेकर पार्टी नेता पटेल ने सीएमओ शर्मा से जवाब तलब किया तो वे कोई जवाब नहीं दे पाए। पटेल ने आरोप लगाया कि परिषद द्वारा पट्टों का प्रलोभन देकर वोट हासिल करने की जुगत हैं जो चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन है और इसे पार्टी कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। इस संबंध में निर्वाचन विभाग को शिकायत की गई है। लोगों को जो पट्टे प्रदान किए गए, उनके साथ भी धोखा है क्योंकि वे पूरी तरह से अवैधानिक है। बिना तारीख के कोई भी दस्तावेज मान्य नहीं होता। बात यह भी सामने आई है कि पटेल के फोन के बाद सीएमओ बुरी तरह से घबरा गए और तत्काल ही संबंधित क्षेत्र में कर्मचारियों को भेजकर पट्टे वापस लेने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इसे लेकर परिषद के कई कर्मचारी टेंशन में भी नजर आए। अब देखना यह है कि आचार संहिता के खुला उल्लंघन पर चुनाव आयोग किस तरह से कार्रवाई करता है।