चीताखेडा। नीमच जिले में भाजपा के दिग्गज नेताओं के नेतृत्व में विकास यात्राएं निकल रही है। भाजपा विकास यात्रा के माध्यम से गांव-गांव पहुंचकर ग्रामीणों को शासन की योजनाओं से अवगत करा रही है। साथ ही विकास कार्यों का भूमिपूजन व लोकार्पण भी कर रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार को ये विकास यात्रा विधायक दिलीप सिंह परिहार के विधानसभा क्षेत्र नीमच के गांव कराड़िया महाराज पहुंची। विधानसभा क्षेत्र के दिग्गज भाजपा नेताओ के साथ जैसे ही विकास यात्रा गांव में पहुंची तो ग्रामीणों और किसानों ने हल्ला बोल दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नीमच विधानसभा क्षेत्र के गांव ग्वाल देवियां के रहवासी काफी अरसे से रोड को लेकर परेशान है। 10 वर्षो से ग्वाल देवियां और कराड़िया महाराज के किसान जिनकी कृषि भूमि इसी मार्ग पर है वे मांग कर रहे है कि उक्त सड़क का निर्माण किया जाए। साथ ही ग्वाल देवियां से पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों को भी बारिश के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
ग्वाल देवियां से नीमच सड़क को जोड़ने वाली सड़क की लम्बाई मात्र 3 किमी है। फिर भी 10 वर्षो से ग्रामीणों की इस मांग को अनसुना किया जा रहा है। हर बार चुनाव के समय नेता सिर्फ घोषणाए कर जाते है, लेकिन चुनाव के बाद भूल जाते है। 3 किमी मार्ग की हालत ऐसी है कि चारपहिया वाहन तो चलाना ठीक दोपहिया वाहन भी ढंग से नहीं चल सकता है। सबसे ज्यादा दिक्कत बारिश के मौसम में होती है। जब पूरा मार्ग कीचड़ से सराबोर हो जाता है। पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे मार्ग से ग्रामीण और देश की भावी पीढ़ी (छात्र) निकलते है। जो बच्चे कराड़िया महाराज पढ़ने जाते है उन्हें बरसात में कई बार छुट्टी तक रखनी पड़ती है।
ग्वाल देवियां के ग्रामीणों ने कहा कि जब 10 वर्षो से हमारी एक मांग पूरी भी नहीं हो पाई तो फिर किस बात की विकास यात्रा जिसको लेकर विधायक हमारे क्षेत्र में आ रहे है। इसी बात को लेकर ग्रामीणों ने विधायक दिलीप सिंह परिहार का घेराव किया और मांग को तुरंत पूरी करने का दबाव बनाया।
ग्रामीण जोरदार प्रदर्शन कर उनकी मांग के लिए अंतिम समय तक अड़े रहे और विधायक को लिखित में आश्वासन देने के लिए मजबूर किया। विधायक ने भी कहा कि में इस मार्ग को तुरंत डामरीकरण करवाने का प्रयास करुंगा। लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे तो उन्होंने तत्काल सरपंच से विधायक निधि से फ़िलहाल में मार्ग समतलीकरण करवाने के निर्देश दिए और इसके बाद इस मार्ग का डामरीकरण करवाने के लिए आश्वस्त किया। तब जाकर ग्रामीण शांत हुए और अपने प्रदर्शन को रोका।