उज्जैन। तीन दशक बाद किसी विदेशी यूनिवर्सिटी की शोध में महाकालेश्वर की गाथा शामिल होगी। इसमें न सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर के इतिहास को शामिल किया जाएगा, बल्कि मंदिर के स्थापत्य कला, उत्पत्ति सहित अन्य बिंदुओं पर भी रिसर्च कार्य होगा। वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी से भारतीय मूल की एक छात्रा द्वारा यह रिसर्च शुरू की गई है। खास बात यह है कि 1990 के बाद ऐसा दूसरी बार हो रहा है, जब किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से विद्यार्थी द्वारा महाकाल मंदिर की स्थापत्य कला पर रिसर्च का कार्य हो रहा है।
मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली श्रेया हरि संयुक्त राज्य अमेरिका के एक राज्य वर्जीनिया की वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी से यह शोध कार्य कर रही हैं। इस शोध का विषय महाकाल मंदिर की स्थापत्य कला और मंदिर का इतिहास रू कापालिक, तंत्र और महाकाल की उत्पत्ति के विशेष संदर्भ में है। इसी शोध कार्य के लिए वह विशेष रूप से दो दिन के लिए अपने पिता हरि रामाचंद्रम के साथ उज्जैन आईं।
भास्कर को श्रेया ने बताया वह पिछले दो वर्षों से वर्जीनिया में ही यह शोध कार्य कर रही हैं। वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी के प्रो. रिसल्स स्कॉट उनके प्रमुख एडवाइजर और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के प्रो. नतिकेत चांचाणी उनके एक्स्ट्रा एडवाइजर हैं। इसी रिसर्च के लिए पहली बार उज्जैन आई हैं। दो दिनों ने श्रेया ने यहां महाकाल मंदिर, विक्रम कीर्ति मंदिर के समीप स्थित विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय और जयसिंहपुरा क्षेत्र स्थित त्रिवेणी संग्रहालय का भ्रमण कर जानकारियां एकत्रित की।
उज्जैन में उन्हें पुरातत्वविद् एवं विश्वविद्यालय के उत्खनन प्रभारी डॉ. रमण सोलंकी ने मार्गदर्शन दिया। श्रेया ने बताया इस रिसर्च में वह महाकाल मंदिर के आर्किटेक्चर, लैंड स्कैप, भौगोलिक स्थिति, मंदिर में लगी मूर्तियों, मंदिर का इतिहास, ज्योतिर्लिंग की पोजिशन सहित अन्य बिंदुओं पर कार्य करेंगी। इसके पहले 1990 में ऑस्ट्रेलिया के एक छात्र ने ऑस्ट्रेलिया की ही यूनिवर्सिटी से महाकाल मंदिर की स्थापत्य कला पर रिसर्च किया था।
24 वर्षीय छात्रा श्रेया हरि ने बताया महाकाल मंदिर के स्थापत्य और इतिहास पर सूक्ष्मता से जानकारियां हासिल की तो पता चला कि इस विषय पर बड़े स्तर पर रिसर्च कार्य की आवश्यकता है। इसलिए महाकाल मंदिर के इतिहास और स्थापत्य कला को रिसर्च के लिए चुना।