उज्जैन। 11 प्रकरणों को लेकर हुआ निगम का साधारण सम्मेलन हंगामे, स्थगन के साथ ही कुछ अच्छी व्यवस्थाएं लागू करने के लिए असाधारण बन गया। इनमें पार्षद तो ठीक एमआईसी सदस्यों की भी प्रकरणों पर कम स्टडी देखने को मिली, जिसके चलते एक प्रकरण में संशोधन करना पड़ा वहीं शांति पैलेस चौराहे के परशुराम नाम करने को लेकर प्रस्ताव आयुक्त को परीक्षण के लिए भेज दिया गया। वहीं वार्ड 23 के पार्षद द्वारा वार्ड 31 के बेगमबाग रोड के नामकरण का प्रस्ताव लाने पर कांग्रेस पार्षद ने आपत्ति ली। इस प्रस्ताव को भी रोक दिया गया।
सम्मेलन की शुरुआत ही समझ की कमी से शुरू हुई। प्रकरण नंबर एक जहां पुराने सम्मेलन के कार्यवृत्त की पुष्टि को लेकर था तो कई एमआईसी सदस्य इसे समझ ही नहीं पाए। शहर में बिजली की समस्या की बात करने लगे। निगम सभापति ने दो बार टोंका। फिर बात आई पुराने सम्मेलनों के पालन प्रतिवेदन की तो सभापति कलावती यादव ने नाराजगी जताते हुए यह कहा कि मेरे पास सिर्फ एक विभाग का पालन प्रतिवेदन है।
उन्होंने कहा कि पिछले सम्मेलन के प्रकरणों का अनुपालन होना चाहिए। दिशा निर्देशों का पालन क्यों नहीं हो रहा है। इसका जवाब आयुक्त दें। आयुक्त रोशन कुमार सिंह ने कहा कि निर्देशों का पालन होता है। इसका परीक्षण कराया जाएगा। कोई दोषी है तो उस पर कार्रवाई भी होगी। इससे पहले प्रश्नोत्तर में नेता प्रतिपक्ष रवि राय ने वैध अवैध कॉलोनी, अंजली छोटी पटेल ने पीएचई के भुगतान, लीला वर्मा ने पीएम आवास, निगम में वाहनों के संचालन, माया त्रिवेदी ने शिप्रा में हो रही घटनाओं को लेकर आयुक्त से जवाब लिया।
युक्त के जवाब से संतुष्टि ना जताते हुए आरोप लगाया कि शिप्रा में मौतें नहीं रुक रही है। स्मार्ट सिटी और निगम द्वारा सिर्फ टालमटोल वाला रवैया अपनाया जा रहा है। सम्मेलन में पहली बार दो वरिष्ठ सदस्यों प्रकाश चित्तौड़ा और रूप पमनानी को आमंत्रित किया गया। उद्देश्य था कि सदन को लेकर अपनी राय गोपनीय रूप से दे सकें। सभापति, महापौर और आयुक्त को तीन बिंदुओं पर सुधार की बात भी कही। वहीं चार महिला पार्षदों नीलम कालरा, राखी कड़ेल, दिव्या बलवानी, निर्मला परमार की एक समिति बनाई जो हर सम्मेलन में राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का गायन करेगी।
‘सदन में कोई प्रकरण आया और वह पहले ही पास हो चुका है तो यह गंभीर बात है। इससे सदन की गरिमा प्रभावित होती है। आदेश देती हूं कि आयुक्त इसका परीक्षण करें और इसे व्यवस्था में लेकर आएं। बगैर परीक्षण सदन में कोई प्रस्ताव ना आए। इसकी जिम्मेदारी आयुक्त की बनती है।श् - कलावती यादव, सभापति नगर निगम (प्रकरण क्रमांक 9 (शांति पैलेस चौराहे का नाम परशुराम चौराहा करने के संबंध में) पर दो भाजपा पार्षदों के आमने सामने होने पर एक्ट में प्रावधान को याद दिलाते हुए)
सम्मेलन की शुरुआत से ही कांग्रेस पार्षद हमलावर नजर आए। केडी गेट में मुआवजे का प्रकरण, पीपीपी मॉडल के तहत विज्ञापन यूनिपोल, नमामि शिप्रा प्रोजेक्ट, ग्रांड होटल परिसर के क्वार्टर वाली जमीन को बेचने, सफाई कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर उनके स्थान पर परंपरागत नियुक्ति देने और केडी गेट चौड़ीकरण में मुआवजे के प्रस्ताव तो पास हुए लेकिन इनमें जमकर हंगामा हुआ।
एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, डॉ. योगेश्वरी राठौर, सत्यनारायण चौहान और पार्षद विजय कुशवाह, संग्रामसिंह, सुशील श्रीवास और गब्बर भाटी आसंदी के सामने कांग्रेसियों के आगे अड़े रहे। विज्ञापन यूनिपोल के प्रकरण में हंगामे के बीच सभापति कलावती यादव ने सदन स्थगित किया और फिर कुछ समय के लिए वरिष्ठ पार्षद रामेश्वर दुबे को आसंदी दी। दुबे ने ही संशोधन के बाद प्रकरण को स्वीकृति दी।
दशहरा मैदान स्टेडियम का नामकरण शहीद राजा भाऊ महाकाल, वार्ड 42 के अंतर्गत अलकापुरी उद्यान का नामकरण पूर्व विधायक स्वर्गीय भूरेलाल फिरोजिया और सेठी नगर टेलीफोन ऑफिस के पास वाले मेन रोड का नाम पूर्व पार्षद स्वर्गीय रजनी कोटवानी मार्ग के नाम पर किया गया। प्रस्ताव पार्षद अंजली बालकृष्ण पटेल द्वारा दिया गया। जब कांग्रेसी विरोध कर रहे थे तो महापौर के पास बैठे एमआईसी सदस्य अपनी पार्टी के पार्षदों को इशारा करते रहे कि आगे जाओ, आगे जाओ।