सुवासरा। नगर में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई जब एक विवाहिता ने घरेलू विवाद के चलते अपने ससुराल की छत पर चढ़कर आत्महत्या करने की धमकी दे दी। घटना की सूचना पर मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई और पूरे नगर में हड़कंप मच गया। गनीमत रही कि स्थानीय नागरिकों की सतर्कता और समझाइश से विवाहिता को सुरक्षित नीचे उतार लिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विवाहिता मूलतः पिपलियामंडी निवासी एक प्रतिष्ठित स्टेशनरी व्यवसायी की पुत्री है, जिनका विवाह सुवासरा के एक सभ्य, शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। गुरुवार को अज्ञात पारिवारिक कारणों के चलते विवाहिता का अपने ससुराल पक्ष से विवाद हो गया। बात बढ़ने पर वह घर की छत पर जा पहुंची और मुंडेर पर खड़े होकर आत्महत्या की धमकी देने लगी।
स्थानीय लोगों ने दिखाई तत्परता, पुलिस रही नदारद-
घटना को देख आसपास के लोग घबरा गए। देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या में लोग मौके पर एकत्र हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विवाहिता छत पर “शोले” फिल्म की तर्ज पर चिल्लाते हुए आत्महत्या की बात कह रही थी। इस दौरान कुछ नागरिकों ने सूझबूझ दिखाते हुए समय रहते महिला को नीचे उतार लिया। घटना की सूचना के बावजूद स्थानीय पुलिस मौके पर देर से पहुंची, जो नगर में चर्चा का विषय रही। बाद में विवाहिता के परिजनों को पिपलियामंडी से बुलाया गया और देर शाम उन्हें सौंप दिया गया।
नगर में उठा विवाद, सोशल मीडिया पर भी वायरल-
घटना के बाद नगर में दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। एक वर्ग जहां महिला की मानसिक स्थिति और पीड़ा को लेकर सहानुभूति जता रहा था, वहीं कुछ लोगों ने इस घटनाक्रम को “ड्रामा” और संस्कारहीनता की उपज बताया।
कुछ नागरिकों का कहना था कि यदि ससुराल पक्ष सम्मानजनक है, तो इस प्रकार सार्वजनिक रूप से आत्महत्या का प्रयास करना पूरे परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। वहीं, कुछ महिलाओं ने विवाहिता के पक्ष में बोलते हुए कहा कि हो सकता है वह किसी मानसिक तनाव में रही हो, जिससे उसने यह कदम उठाया।
समाज के लिए चेतावनी: संवाद और समाधान जरूरी-
यह घटना केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है। विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि विवाहिता और ससुराल पक्ष के बीच संवाद और समय रहते समाधान आवश्यक है।
एक नागरिक ने कहा, "घरेलू विवाद अगर समय पर सुलझाए न जाएं तो वे गंभीर रूप ले सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।"
हालांकि विवाहिता की जान बच गई, लेकिन यह घटना कई सवाल छोड़ गई –
क्या विवाहिता वाकई पीड़ित थी?
क्या यह सिर्फ ध्यान आकर्षित करने की कोशिश थी?
क्या समाज ने उसकी बात सुनने में देर कर दी?
इन सवालों के जवाब समय देगा, लेकिन घटना ने निश्चित रूप से समाज, प्रशासन और परिवारों को चिंतन और आत्मविश्लेषण करने पर मजबूर कर दिया है।