ग्वालियर। सेंट्रल लाइब्रेरी में भारतीय संविधान की मूल हस्तलिखित प्रति सुरक्षित है, जिसे 14 अगस्त को आम जनता के दर्शन के लिए रखा गया। यह प्रति संविधान की उन 16 मूल प्रतियों में से एक है, जो 26 नवंबर 1949 को तैयार की गई थीं। भारत सरकार ने यह प्रति सिंधिया राजवंश को उपहार स्वरूप दी थी।
महाराज बाड़े के पास स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में संरक्षित यह प्रति भारतीय लोकतंत्र और इतिहास का अमूल्य दस्तावेज मानी जाती है। इसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. भीमराव अंबेडकर सहित संविधान सभा के 256 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
साल में सिर्फ तीन दिन होते हैं दर्शन
सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रबंधक विवेक कुमार सोनी ने बताया कि यह बड़ी गौरव की बात है कि संविधान की 16 प्रतियों में से एक हमारे पास संरक्षित है। इसे हर साल केवल तीन विशेष अवसरों 26 नवंबर (संविधान दिवस), 25 जनवरी और 14 अगस्त को ही आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जाता है।
इस साल संविधान की प्रति को लोगों को फिजिकल और डिजिटल फॉर्मेट में बड़ी स्म्क् स्क्रीन के माध्यम से भी दिखाया गया। इसे देखने के लिए ग्वालियर सहित आसपास के जिलों से भी लोग पहुंचे। कई लोगों ने इस प्रति के समक्ष दंडवत प्रणाम किया और सेल्फी भी ली।
लोग बोले- यह हमारे लिए गर्व की बात
संविधान की प्रति देखने आए अरविंद कुशवाहा ने कहा, हम खास तौर से समय निकालकर इसे देखने आए हैं। यह गर्व की बात है कि इतनी ऐतिहासिक प्रति ग्वालियर में संरक्षित है।
वहीं, छात्रा बिनी भदौरिया ने कहा, संविधान की मूल प्रति को देखकर गर्व और खुशी महसूस हो रही है। यह एक अनोखा अनुभव है। इसके अलावा अपने पति के साथ संविधान की प्रति देखने आईं खुशी कुशवाहा ने कहा, यह अवसर बहुत कम मिलता है। हमने खास तौर पर समय निकालकर इसे देखा। बहुत अच्छा अनुभव रहा।