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August 14, 2025, 2:50 pm
KHABAR : प्रमोशन में आरक्षण पर सरकार को हाईकोर्ट से मिली मोहलत, सीनियर वकीलों की नियुक्ति के लिए सरकार ने मांगा था समय, अगली सुनवाई 9 सितंबर को, पढे़ खबर 

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जबलपुर। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका पर 14 अगस्त को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में समय मांगा गया, जिसके पीछे कारण बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं सी.एस. वैद्यनाथन और तुषार मेहता को हाईकोर्ट में बहस के लिए नियुक्त किया गया है। सरकार ने निवेदन किया कि चूंकि दोनों वरिष्ठ अधिवक्ता राज्य का पक्ष रखेंगे, इसलिए उन्हें तैयारी के लिए समय दिया जाए।


चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने यह मांग स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई के लिए 9 सितंबर की तारीख तय की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने बताया कि चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा जो चार्ट पेश किया गया है, वह यह स्पष्ट नहीं करता कि आंकड़े जनगणना (सेंसर) के आधार पर हैं या फिर सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व के आधार पर। इस पर कोर्ट ने तुलनात्मक वस्तुस्थिति स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।


इसके अलावा हाईकोर्ट ने यह भी कहा है की नई पॉलिसी में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन हुआ है या नहीं? यह भी बताया जाए।


बता दें कि मध्यप्रदेश में लागू नई प्रमोशन नीति 2025 को लेकर अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने यह याचिका दायर की है। इससे पहले सुनवाई 12 अगस्त को प्रस्तावित थी, लेकिन चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच की उपलब्धता नहीं होने के कारण इसे 14 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया था।


नई नीति के तहत पदोन्नति नहीं दी जाएगी
पिछली सुनवाई में कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक किसी को नई नीति के तहत पदोन्नति नहीं दी जाएगी। मामले में भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि हाईकोर्ट पहले ही साल 2002 के प्रमोशन नियमों को आरबी राय केस में रद्द कर चुका है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने नए सिरे से वही नीति लागू कर दी जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और वहां यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी है।


17 जून को कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
नए पदोन्नति नियमों को मोहन यादव कैबिनेट ने 17 जून को मंजूरी दी थी और इसके बाद सरकार ने 19 जून 2025 को नए नियम बनाकर अधिसूचना जारी कर उसे लागू कर दिया है। लेकिन न तो सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका वापस ली और न ही पुराने नियम से पदोन्नत हुए कर्मचारियों को पदावनत किया।


इसी कारण जब इन नियमों के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई तो कोर्ट ने नए और पुराने नियम के अंतर को स्पष्ट करने के साथ इस बात पर सरकार से जवाब मांग लिया कि सरकार की ओर से दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस क्यों नहीं ली गई। जब नियम तैयार हो रहे थे, तब भी यह विषय उठा था लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे में प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी।

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