मंदसौर। जिले के रावटी गांव सहित कई क्षेत्रों में पीला मोजेक रोग ने सोयाबीन फसल को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। हालात इतने गंभीर हैं कि किसान अपनी ही मेहनत से उगाई फसल को नष्ट करने पर मजबूर हो गए हैं। रावटी के किसान सुरेश चंद्र ने अपनी ढाई बीघा में लगी पूरी फसल को रोटावेटर से जोतकर समाप्त कर दिया। अन्नदाताओं ने प्रशासन ने तत्काल सर्वे कराकर उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है।
हजारों रूपये खर्च, नहीं बचा सके फसल-
किसान सुरेश चंद्र का कहना है कि लगातार बारिश के कारण खेतों में नमी बनी रही, जिससे पीला मोजेक रोग तेजी से फैल गया। पत्तियां पीली पड़ गईं, फूल और फलियां खराब हो गईं और पौधे सूखने लगे। हजारों रुपए खर्च करने के बावजूद फसल को बचाया नहीं जा सका।
तत्काल सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने की मांग-
सिर्फ सुरेश चंद्र ही नहीं, बल्कि मंदसौर जिले के कई किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं। प्रभावित किसानों ने प्रशासन से तत्काल सर्वे कराने और हुए नुकसान का उचित मुआवजा देने की मांग की है, ताकि आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों को राहत मिल सके।
क्या है पीला मोजेक रोग?
विशेषज्ञों के अनुसार, पीला मोजेक रोग सोयाबीन की एक गंभीर बीमारी है, जिसमें पत्तियों पर पीले धब्बे और धारियां बन जाती हैं, फूल और फलियां सड़ने लगती हैं और पौधा धीरे-धीरे सूख जाता है। यह रोग मुख्यतः एफिड्स जैसे कीटों के माध्यम से फैलता है और लगातार बारिश या अधिक नमी की स्थिति में तेजी से फैलता है।
नष्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं-
समय पर नियंत्रण न होने पर पूरी फसल नष्ट हो सकती है। बचाव के लिए प्रभावित पौधों को खेत से हटाना, उपयुक्त कीटनाशकों का छिड़काव करना और खेत में जल निकासी की व्यवस्था करना आवश्यक है। हालांकि, कई बार रोग इतना फैल जाता है कि फसल नष्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। किसानों का कहना है कि यदि प्रशासन त्वरित कार्रवाई कर प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे और मुआवजा वितरण करता है, तो उनकी आर्थिक परेशानी कुछ हद तक कम हो सकती है।