नीमच। शहर की खुशहाली सुख शांति समृद्धि आयु आरोग्य की वृद्धि के लिए नीमच में पहली बार सप्त ऋषि रूप ब्राह्मणों द्वारा सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा सत्संग के अंतर्गत मंगलवार को प्रथम दिवस का सत्संग प्रारंभ हुआ।
आज के प्रथम दिवस के वक्ता पंडित दुर्गाशंकर नागदा निलिया वालों ने कहा कि भागवत कोई पोथी पुस्तक नहीं है, यह साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय रूप है जिसमें भगवान कृष्ण ने अपना रूप स्वरूप समस्त शक्तियां निहित कर दी थी। जिसके पढ़ने से ही नहीं अपितु श्रवण मात्र से ही पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके उदाहरण में पंडित नागदा ने बताया कि आत्मदेव गोकर्ण और धुंधकारी की कथा के माध्यम से बताया कि जीवित व्यक्ति का ही उद्धार नहीं होता, जो व्यक्ति अपने पाप कर्म दुष्कर्म के माध्यम से मरणोपरांत प्रेत योनि को प्राप्त होता है तो उसके लिए श्रीमद भागवत कथा कराई जाए और उसके लिए इस तरह का सत्संग किया जाए तो फिर प्रेत योनि से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।
प्रथम दिवस की कथा में भागवत और कलश यात्रा में प्रमुख यजमान के रूप में शंकर फुलवानी व तुलसी फुलवानी ने श्रीमद्भागवत की पौथी व कलश को धारण किया।
आज इस भागवत सत्संग में पूर्व पार्षद गोदावरी लालवानी, नवरत्न खंडेलवाल, अजय शर्मा, सुरेशचंद्र शर्मा, जयप्रकाश पुरोहित व अन्य बहुत से श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर आरती में सम्मिलित होकर धर्म लाभ लिया।
भागवत सत्संग कथा प्रतिदिन दोपहर 1.30 से 4.30 तक रहेगी अतः सभी भक्तजन समय का ध्यान रख कर अधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ ले।