विदिशा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। मिलेट अर्थात मोटा अनाज गेहूं एवं चावल, मक्का के अतिरिक्त अन्य खाये जाने वाले अनाज मोटा अनाज या मिलेट कहलाते है। इनमें सम्मिलित है ज्वार, बाजरा, कोदो-कुटकी, रागी, सांवा, चीना आदि।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उपसंचालक केएस खपेड़िया ने बताया कि मिलेट फसलें गेहूं चावल की तुलना में अधिक पोषक तत्व वाली फसले हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिये अति उत्तम भोजन है। इसीलिये इन्हें न्यूट्रीसीरियल भी कहा जाता है। इन फसलों के उत्पादन में सिंचाई पानी की कम आवश्यकता होती है तथा फसलों के उत्पादन में कीट एवं बीमारी कम आती हैं और यह पर्यावरण हितैषी फसलें हैं। अतः आज आवश्यकता है कि कृषक भाई मिलेट फसलें उगायें और आमजन इनको भोजन में शामिल करें।
इसी तारतम्य में कृषि विभाग द्वारा मिलेट फसलों का प्रचार-प्रसार मिलेट संबंधित उत्पादन- विपणन तथा मिलेट फसलों के प्रति आमजन में रूचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से आज सोमवार को मिलेट जागरूकता दिवस मनाया गया। मिलेट अनाज की फसलों जैसेरू- ज्वार, बाजरा, मक्का, कोदो-कुटकी आदि से बनने वाले व्यंजन जैसे इडली, डोसा, पराठा, पुलाव, खिचडी, उपमा, रोटी. लड्डू, चिवडा, खीर आदि के संबंध में चर्चा की गई। जिले में कृषि के समस्त कार्यालयों एवं मण्डी प्रांगण तथा कलेक्ट्रेट प्रांगण आदि स्थानों पर मिलेट के प्रचार-प्रसार हेतु बैनर भी लगाये गये हैं।
मोटे अनाज पोषक तत्वों का भंडार हैं। चावल और गेहूं की तुलना में इनमें 3.5 गुना अधिक पौषक तत्व पाये जाते हैं। इनमें बीटा केरोटिन, नियासिन, विटामिन बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम मेगनिशियम, जस्ता आदि खनिज लवण और विटामिन प्रयुक्त मात्रा में पाए जाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद फायदेमंद डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।
पोषण और स्वास्थ्य की दृष्टि से इसके फायदो के कारण ही इसे सुपर फूड भी कहा जाता है। इनका सेवन वजन कम करने शरीर में उच्च रक्त चाप और अधिक कोलेस्ट्राल कम करने, हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसे रोगों के जौखिम को कम करने के साथ-साथ कब्ज और अपच से निजात मिलती है।
कृषि विभाग का है यह संदेश, मोटा अनाज उगाएँ, मोटा अनाज खाएँ। उत्तम पोषण पाएँ, बीमारियाँ दूर भगाएँ।