भोपाल | मैनिट में एक पीएचडी छात्र संजीव कुमार भूकेश 5 दिनों जून से मैनिट प्रशासन के खिलाफ अनशन पर बैठे हैं। उनका का कहना है कि वह 2016 बैच का रिसर्च स्कॉलर है। जो सौर ऊर्जा में शोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आते हैं। अनुसूचित जाति के नियमों के अंतर्गत मैनिट प्रशासन द्वारा उसकी फीस माफ नहीं की जा रही है, और अब 7 साल बाद जब थीसिस जमा करने का समय आया तो वह अब मेरा नो ड्यूज नहीं कर रहे और 1 लाख रुपए फीस ट्यूशन फीस के नाम पर मांग रहे हैं। संजीव का कहना है कि अंतिम तारीख 4 जुलाई है और उनके पास बिल्कुल समय नहीं बचा है। मैनिट प्रशासन जानबूझकर प्रताड़ित कर रहा है।
मैनिट प्रशासन पर घूस मांगने का आरोप लगाया
संजीव ने बताया कि नियमानुसार फीस माफ नहीं की जा रही है। जबकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आदेशानुसार यह राहत मुझे को दी जा सकती है। मैनिट प्रशासन इसका का उल्लंघन कर रहा है। मैं इस संबंधन में मैं छात्र डायरेक्टर करुणेश कुमार शुक्ला, रजिस्ट्रार बिनोद डोले, डीन डॉ. एमएम मालिक, सहायक कुल सचिव बेनी अब्राहम, सुपरिनटैंडैंट प्रशांत भटनागर से भी मिल चुका हूं। किंतु किसी ने उसकी सुनवाई नहीं की। इसके अलावा उन्होंने मैनिट प्रशासन के अधिकारियों पर 20,000 रुपए की रिश्वत फीस माफ मांगने का भी आरोप लगाया है।
संजीव का कहना है कि जब तक मेरी फीस माफ नहीं होगी तब तक मैं अनशन पर बैठा रहूंगा। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी भी मौजूद हैं। संजीव मैनिट में पोर्च के सामने बैठे हुए हैं। संजीव ने बताया कि वह यहां बारिश और मौसम की मार भी झेल रहे हैं। मगर मैनिट प्रशासन ना जाने किस नियमों का हवाला देकर मेरी ट्यूशन फीस माफ नहीं कर रहा है। जबकि एनआईटीज के लिए सेंट्रल के नियम के अनुसार कोई ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। इसके दस्तावेज मेरे पास मौजूद हैं।
हमें कमेटी और बोर्ड के अप्रूवल की जरूरत
रजिस्ट्रार बिनोद डोले का कहना है कि संजीव कुमार भुकेश को अपनी थीसिस जमा करना है, उन्होंने अपना नो ड्यूज क्लियर नहीं किया है। उनसे हमने बातचीत की तो उनका कहना है कि वह एससी से हैं और उन्हें ट्यूशन फीस में छूट मिलनी चाहिए। हमने नियम के आधार पर उन्हें बताया कि हमारी बोर्ड और फाइनेंस कमेटी के अनुसार केवल यूजी और पीजी में ही छात्रों को ट्यूशन फीस की छूट दी जाती है। हालांकि संजीव निर्धारित तिथि से पहले अपनी बची हुई फॉर्मलिटीज पूरी कर सकते हैं। जब तक हमारे पास फाइनेंस कमेटी और बोर्ड ऑफ गर्वनर का अप्रूवल नहीं मिलेगा तब तक हम इसमें कुछ कर सकते हैं। हम इसको स्पेशल कैस के तौर पर बोर्ड के सामने रखेंगे।