इंदौर | पीएचडी प्रवेश परीक्षा से पहले देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने 70 से ज्यादा सीनियर प्रोफेसरों व प्राचार्यों को गाइड की सूची से बाहर कर दिया है। इसे लेकर नया बखेड़ा खड़ा हाे गया है। इसमें शासकीय कॉलेजों के प्रोफेसर भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 30 गाइड कॉमर्स विषय के हैं। गाइड की लिस्ट से बाहर किए जाने के कारण इन सभी प्रोफेसर को पीएचडी करवाने के लिए नए स्कॉलर नहीं मिल पाएंगे।
दरअसल यूनिवर्सिटी प्रशासन का तर्क है कि उसने दो बार प्रोफेसरों को गूगल फॉर्म के जरिये मौका दिया था कि वे अपनी खाली सीटों के साथ पूरी जानकारी समिट करें, ताकि उन्हें पीएचडी की प्रवेश परीक्षा के लिए प्रकाशित होने वाली नए गाइड की लिस्ट में शामिल किए जा सके, लेकिन चेतावनी के बाद भी इन प्रोफेसरों ने आवेदन नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ प्रोफेसरों का तर्क है कि कई बार तकनीकी समस्या आई तो कई बार परीक्षा ड्यूटी व मूल्यांकन में व्यस्त होने की वजह से वे आवेदन नहीं कर पाए। उन्हें एक मौका और दिया जाना चाहिए। हालांकि इस पर यूनिवर्सिटी ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
15 से ज्यादा विषय में 100 से ज्यादा सीटें हो जाएंगी कम?
इस स्थिति का सबसे बड़ा खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ेगा। जो छात्र पीएचडी प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन्हें कम सीटों पर मौका मिलेगा। क्योंकि सिर्फ कॉमर्स में ही 30 से ज्यादा गाइड के नाम हटाए गए हैं। इनके मार्गदर्शन में 80 के आसपास सीटें खाली हैं। यानी सीधे ये सीटें घट जाएंगी। वहीं दूसरी तरफ मैनेजमेंट, एजुकेशन, फिजिक्स, केमेस्ट्री सहित अलग-अलग विषयों की भी 40 से ज्यादा सीटें कम हाे जाएंगी। सीधा नुकसान छात्रों को होगा।
रिसर्च प्रोफाइल- प्रोफेसरों की कम होने से असर पड़ेगा
जिन प्रोफेसरों का नाम लिस्ट से हटाया गया है, उन्हें भी नुकसान होगा। क्योंकि लैक्चरर, रीडर, असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर के मार्गदर्शन में तय संख्या में शोधार्थी पीएचडी करते हैं। जो फैकल्टी जितने छात्रों को पीएचडी करवाती है, फैकल्टी की भी प्रोफाइल उतनी मजबूत होती है। प्रमोशन से लेकर यूजीसी से प्रोजेक्ट प्राप्त करने में यह बेहद अहम होता है। इन प्रोफेसरों को अगर नए शोधार्थी नहीं मिलेंगे तो कम से कम डेढ़ साल इनकी वह सीटें खाली रहेंगी।
यूनिवर्सिटी में अगले साल अंत में नैक यानी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल का निरीक्षण है। ऐसे में उसे रिसर्च के मामले में अपना मजबूत पक्ष रखना होगा। अगर यूनिवर्सिटी से संबद्धता प्राप्त कॉलेजों के प्रोफेसरों के मार्गदर्शन में ज्यादा से ज्यादा पीएचडी होगी तो उसका फायदा यूनिवर्सिटी को भी मिलेगा। वह कुल जारी तथा अवार्ड हो चुकी पीएचडी में से किसी एक कैटेगरी में उसे शामिल कर सकेगी।
प्रोफेसर लगातार परीक्षा, मूल्यांकन और एडमिशन प्रक्रिया में व्यस्त रहें। कई कॉलेज यूनिवर्सिटी की ही एक्जाम के सेंटर हैं। लगातार परीक्षाएं चल रही हैं। इसी कारण कई गाइड फॉर्म नहीं भर पाएं हैं। यूनिवर्सिटी से मांग करेंगे कि दोबारा लिंक ओपन की जाए।
प्रोफेसरों को दो बार पर्याप्त समय दिया गया। यूनिवर्सिटी ने गुगल फॉर्म भी अपलोड किए थे। जिन्होंने आवेदन नहीं किए, उनके नाम हटाए गए हैं। अगर उनकी तरफ से डिमांड आती है तो फिर दो-तीन दिन लिंक ओपन करने पर विचार करेंगे।