बड़वानी। आपकी डिग्री और परीक्षा में प्राप्त किये गये आपके परसेंटेज आपके ज्ञान से जस्टिफाई होना चाहिए। प्रायः यह देखा गया कि फर्स्ट डिवीजीन स्नातकोत्तर कक्षा उत्तीर्ण युवा भी भाषाई ज्ञान के मामले में बहुत पिछड़े हुए हैं। हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है। जैसा लिखते हैं, वैसा ही बोलते हैं और जैसा बोलते हैं, वैसा ही लिखते हैं। अशुद्ध लेखन अशुद्ध उच्चारण का कारण बनता है। इसी तरह अशुद्ध उच्चारण अशुद्ध लेखन का कारण बनता है। आप बिंदी, मात्रा, वर्ण आदि के लेखन और उच्चारण पर ध्यान देना प्रारंभ कीजिए। यदि आप भाषाई शुद्धता पर काम करते हैं और इसमें सफलता प्राप्त कर लेते हैं, तो आपको जीवन में कॅरियर संबंधी उच्च मुकाम अवश्य ही प्राप्त होगा। ये बातें डॉ. मधुसूदन चौबे ने शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ‘सफलता के सूत्र’ कार्यक्रम में कहीं। यह आयोजन प्राचार्य डॉ. दिनेश वर्मा और प्रभारी प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में हुआ। डॉ. चौबे ने शिक्षा सत्र 2023-24 में नवप्रवेशित विद्यार्थियों को विस्तार से बताया कि भाषा पर आधारित कौन-कौनसी गलतियां युवा करते हैं और उन्हें कैसे सुधारा जा सकता है। कार्यकर्तागण प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि महाविद्यालयीन परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं में भाषा की शुद्धता का बहुत महत्व है। यही कारण है कि कॅरियर सेल निरंतर इस दिशा में कार्य कर रहा है। समय-समय पर हिन्दी शुद्ध लेखन की निःशुल्क कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं। सहयोग सुरेश कनेश, स्वाति यादव, सुनील मेहरा, सतीश अवास्या, उमेश किराड़, गीता वास्केला, सूरज सुल्या, भियारी गुर्जर ने किया।