नीमच। विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं का मूड जानने के लिए वॉईस ऑफ एमपी की चुनावी यात्रा नीमच व मंदसैर जिले के नगर-नगर व गांव-गांव पहुंच रही है। इसी कड़ी में गुरूवार को वॉईस ऑफ एमपी की चुनावी यात्रा मल्हारगढ़ विधानसभा के ग्राम बुढ़ा पहुंची। यहां स्थानीय बस स्टैंड पर वॉईस ऑफ एमपी की टीम ने बीजेपी व कांग्रेस के पदाधिकारियों से अब तक हुए विकास व विकास के वादों को लेकर चर्चा की। साथ ही इस चुनाव में मतदान करने से पहले मतदाताओं का मूड भी जाना।
भाजपा विकास के खोखले दावे करती है-
भाजपा की सरकार विकास के खोखले दावे करती हैं। धरातल पर विकास आज भी इंतजार कर रहा है। जो नल-जल योजना राजस्थान में पूरी हो चुकी है वह आज भी हमारे यहां अधूरी है। क्षेत्र में एक नल भी नहीं लगा है। पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र के खेतों तक पानी पहुंच चुका है, लेकिन वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का क्षेत्र अब भी प्यासा है। कमल नाथ के नेतृत्व में चंबल का पानी हम लाकर बताएंगे। हम तालाब के पानी पर आश्रित है, यदि तालाब में पानी नहीं होता है तो पीने के पानी को भी जनता तरस जाती है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े हैं। विधानसभा का सबसे बड़ा गांव होने के बावजूद सुविधाओं की कमी है। भाजपा के नेता अतिक्रमणकर्ताओं को बढ़ावा देते हैं।
570 करोड़ की लागत से बिछाया सड़कों का जाल-
वहीं भाजपा के पदाधिकारियों ने वॉईस ऑफ एमपी की चुनावी यात्रा में ये दावा किया कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा व भाजपा की सरकार ने विधानसभा क्षेत्र में 570 करोड़ रूपये की लागत से सड़कों का जाल बिछाया है। वर्तमान में मल्हारगढ़ क्षेत्र को 876 करोड़ की लागत से चंबल का पानी देने की योजना अस्तित्व में हैं। विधायक देवड़ा ने क्षेत्र में अस्पताल बनाया, स्टेडियम की सौगात दी। स्कूल भवनों का निर्माण कर शिक्षा के स्तर में सुधार किया। दिग्विजय सिंह के शासन काल में प्रदेश का बंटाधार हो गया था। शिवराज सरकार युवाओं के लिए काम कर रही है। 2003 से पहले मप्र की क्या स्थिति थी यह किसी से छुपी नहीं है। पिपलिया मंडी, दलौदा, मल्हारगढ में कॉलेजों का निर्माण करवाया है।
मतदाताओं के बोल-
क्षेत्र में देवड़ा जी की सरकार ने काम किया है। विकास भी हुआ है। लेकिन आज के दौर में रोजगार एक बहुत बड़ा मुद्दा है। क्षेत्र के शिक्षित युवा बेरोजगार है। विधानसभा क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग नहीं लगाया है। शासन की योजनाओं का लाभ भी कई पात्र हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं को पिछले पांच माह से सैलेरी नहीं मिली है। वृद्धावस्था पेंशन भी नागरिकों के खाते में नहीं आई है।