भोपाल। आज से वर्षा का प्रवेश पुष्य नक्षत्र में हो जाएगा। भारतीय ज्योतिषशास्त्र में वर्षा के आठ नक्षत्रों में पुष्य को तीसरा और अत्यंत प्रभावशाली नक्षत्र माना गया है। ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम के अनुसार, 20 जुलाई से 3 अगस्त तक वर्षा पुष्य नक्षत्र के प्रभाव में होगी। इस नक्षत्र की वर्षा मेष वाहन, जला नाड़ी व चंद्र-चंद्र योग के कारण अच्छी मानी जा रही है। इसके चलते आगामी दिनों में अच्छी और संतुलित वर्षा के संकेत हैं।
पं. गौतम ने बताया कि मेघमाला ग्रंथ में वर्णित पुष्य नक्षत्र की स्थिति के अनुसार, जब इसमें केवल सूर्य गतिमान रहता है, तब वर्षा की संभावना प्रबल हो जाती है। हालांकि ग्रहों की स्थिति यह भी इंगित कर रही है कि सूर्य-बुध का योग कर्क राशि में तथा मंगल-केतु का योग सिंह राशि में होने से कुछ समय के लिए वर्षा में बाधा भी आ सकती है।
कर्क संक्रांति के प्रभाव भी दिखेंगे
पं. गौतम के अनुसार, वर्तमान समय में कर्क संक्रांति का असर भी मौसम और राजनीति पर स्पष्ट दिखाई देगा। पूर्वाेत्तर भारत में भारी वर्षा से नुकसान की संभावना है। वहीं सिंह राशि में मंगल-केतु की युति राजनीतिक अस्थिरता और विवादों की स्थिति निर्मित कर सकती है। यह स्थिति कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगी।
महंगाई और रोग बढ़ने के संकेत
शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के साथ ही सोना-चांदी और अन्य कीमती धातुओं में कीमतें बढ़ सकती हैं। मंगल-केतु के प्रभाव से देश में संक्रमण रोगों में भी वृद्धि की आशंका जताई गई है। हालांकि पं. गौतम यह भी कहते हैं कि बुद्धिजीवियों और शिक्षा जगत के लिए यह समय शुभ संकेत दे रहा है। अगस्त में जब सूर्य और बुध सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, तब बुधादित्य योग का निर्माण होगा, जो सकारात्मक और ऊर्जावान प्रभाव देगा।