उज्जैन। आज शनिचरी अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है। उज्जैन में शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर लोग रात 12 बजे के बाद से ही पहुंचने लगे थे। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने शनि देव और नवग्रह का पूजन किया। शिप्रा नदी के त्रिवेणी घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। यहां दूर-दूर से आए श्रद्धालु शिप्रा में आस्था की डुबकी नहीं लगा पा रहे हैं। प्रशासन ने स्नान के लिए घाटों पर फव्वारों की व्यवस्था की। शनिचरी अमावस्या पर नव ग्रह शनि मंदिर को फूलों से सजाया गया है। शनि महाराज को राजा के रूप में पगड़ी पहनाकर आकर्षक श्रृंगार किया गया। शनि मंदिर में अमावस्या का अपना महत्व है। यहां श्रद्धालु डुबकी लगाकर मंदिर के दर्शन करते करते हैं। इसके बाद पनौती के रूप में अपने कपड़े और जूते-चप्पल यहीं छोड़ जाते हैं।मान्यता है कि शनिचरी अमावस्या पर श्रद्धालु स्नान के बाद अपने जूते-चप्पल और कपड़े दान स्वरूप वहीं छोड़कर जाते हैं। अमावस्या पर देशभर से आए श्रद्धालुओं ने भी त्रिवेणी घाट पर पनौती समझे जाने वाले जूते-चप्पल और कपड़ों का ढेर लगा दिया है। हालांकि, दान स्वरूप छोड़े गए जूते-चप्पल और कपड़ों की प्रशासन द्वारा नीलामी की जाएगी।शनि मंदिर के पंडित जितेंद्र बैरागी ने बताया कि देर रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ आना शुरू हो गई थी। अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी किया जाता है। इस दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है। शनिवार को अमावस्या तिथि पड़ने के कारण शनि देव की पूजा करने से विशेष शांति मिलती है। जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती चल रही हो या पितृ दोष, कालसर्प योग, अशुभ ग्रह योग सहित अन्य कठिनाइयां हों, उन्हें इस दिन शनिदेव की पूजा से विशेष लाभ मिलता है।