चित्तौड़गढ़। राजस्थान सरकार ने विद्यालयी शिक्षा में एक अभिनव पहल की है। अब प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में चातुर्मास के दौरान जैन साधु-साध्वियों के विशेष प्रवचन, योग, ध्यान शिविर और कार्यशालाएं आयोजित होंगी। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति, धर्मों के प्रति सम्मान, स्वास्थ्य, अहिंसा, संयम और करुणा जैसे जीवन मूल्यों का विकास करना है।
राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के प्रस्ताव पर सरकार ने मुहर लगाई है। विद्यालय शिक्षा (ग्रुप-5) विभाग के शासन उप सचिव राजेश दत्त माथुर ने इस संबंध में आदेश जारी किया। परिषद अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने कहा कि यह पहल विद्यार्थियों को नशा, हिंसा और तनाव से दूर रखेगी तथा संस्कारित और संतुलित जीवन की प्रेरणा देगी। शिविरों में आयुर्वेद, पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता पर भी जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
अवसाद व एकाकीपन को दूर करने का प्रयास-
परिषद का कहना है कि वर्तमान समय में आधुनिकता और शहरीकरण के दबाव के कारण विद्यार्थी भारतीय संस्कृति और मूल्यों से दूर हो रहे हैं। प्रतिस्पर्धा व भौतिकता ने उनके जीवन में तनाव, नशे की प्रवृत्ति और अवसाद बढ़ा दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार से सुझाव दिया गया था कि विद्यार्थियों के लिए समय-समय पर प्रवचन और ध्यान-योग कार्यशालाएं आयोजित हों। सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
विद्यार्थियों में बढ़ेगी सकारात्मकतादृ श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि
श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने कहा कि यह पहल वर्तमान समय की आवश्यकता है। विद्यार्थियों में अवसाद, मानसिक तनाव और भय की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसे में साधु-साध्वियों के प्रवचन और मार्गदर्शन से वे सकारात्मकता की ओर अग्रसर होंगे, आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ेगी तथा अनुशासन का विकास होगा। साथ ही वे भारतीय संस्कृति और विरासत से भी परिचित होंगे।
जैन समाज ने किया स्वागत, परिषद ने जताया आभार-
राजकीय एवं निजी विद्यालयों में चातुर्मास के दौरान श्रमणों के प्रवचन, ध्यान शिविर और कार्यशालाएं आयोजित करने के निर्णय का जैन समुदाय और युवाओं ने स्वागत किया है। राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन एवं पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, मुख्य सचिव सुधांश पंत, विद्यालयी शिक्षा शासन सचिव कृष्ण कुणाल तथा शासन उप सचिव राजेश दत्त माथुर का आभार प्रकट किया।