मोरवन। ग्राम मोरवन में महिला मित्र मंडल, लक्ष्मीनारायण मंदिर समिति एवं ग्रामवासियों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो की कथा का बुधवार को भव्य समापन हुआ। समापन दिवस पर सैकड़ों श्रद्धालु कथा श्रवण हेतु पहुंचे और भक्ति भाव से कार्यक्रम में सहभागी बने।
व्यास पीठ से कथा वाचन कर रहीं जयमाला दीदी ने अंतिम दिन के प्रवचनों में कहा कि यह कथा सेवा, सहयोग और समर्पण की प्रेरणा देती है। हमें लोभ, मोह और लालच का त्याग कर भगवान की निष्काम भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्तवत्सलता और नरसी मेहता की अटूट भक्ति का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे भगवान ने स्वयं आकर नानी बाई का मायरा भरा और भक्त की लाज रखी।
कथा के बीच-बीच में प्रस्तुत राजस्थानी भजनों दृ गाड़ी में बिठा ले रे बाबा जानूं है नगर अंजार, वीरो भात भरण ने आयो दृ पर श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूम उठे।
कथा प्रसंग में जब भगवान श्रीकृष्ण मायरा लेकर पहुंचते हैं, उसी समय मोरवन निवासी प्रहलाद सेन अपने परिवार सहित ढोल के साथ नाचते हुए मायरा लेकर पहुंचे, जिनका मंदिर समिति और ग्रामीणों द्वारा फूल-मालाओं से भव्य स्वागत किया गया। सेन परिवार ने विधिवत मायरे की रस्म अदा की।
समापन अवसर पर कथा में सहयोग देने वाले सभी जनों का व्यास पीठ से सम्मान किया गया। तीन दिवसीय कथा का सुनियोजित संचालन रामनारायण राठौर एवं कवि योगेश शर्मा ने किया। कार्यक्रम ने ग्रामवासियों को भक्ति, सहयोग और सामाजिक एकता का संदेश दिया, और समस्त श्रद्धालु धार्मिक आनंद और पुण्य लाभ से अभिभूत होकर लौटे।