चित्तौड़गढ़। मेवाड़ की आन बान शान के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले वीर वीरांगनाओं में वीरवर जयमल जी एवं कल्लाजी का नाम जग विख्यात हैं। जिन्होंने अकबर के युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर कर मेवाड़ की रक्षा के लिए एक नया इतिहास रचा। इतना ही नहीं वीरवर कल्लाजी ने बिना सिर के दुर्ग मार्ग पर युद्ध करते हुए कई मुगलों को नींद की गोद सुला दिया।
ऐसे वीर वर कल्लाजी वर्तमान में लोक देवता के रूप मे मेवाड़, मालवा, वागड़, गुजरात क्षेत्र में पूजे जाते हैं। जिनके लगभग एक हजार छोटे बड़े मन्दिरों और देवरे स्थापित हैं। कल्लाजी के प्रमुख स्थानों में चित्तौड़ दुर्ग स्थित छतरी एवं रून्देला का स्थान विशेष महत्व रखता हैं। इस सब के बीच कभी नाव का निंबाहेड़ा कहलाने वाला कल्लाजी के नाम से वर्तमान में कल्याणनगरी के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका हैं। जिनका 482 वां जन्मोत्सव सावन शुक्ला अष्ठमी को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा हैं। अपने आप में यह अनूठी बात हैं कल्याणनगरी वासियों ने यहां वर्ष 29 मई 2005 में स्थापित कल्लाजी के मन्दिर के बाद मात्र 2 दशक पूरे देश में इस मंदिर ने अपनी विशिष्ट पहचान कायम की हैं। जहां कल्याणनगरी के राजाधिराज के रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी सहित काल भैरव, पंचमुखी हनुमानजी, गायत्री माता एवं स्कंद माता की अष्ठ धातु की प्रतिमाएं जन-जन के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कल्याण भक्तों ने श्री कल्लाजी को शेषावतार के रूप में स्वीकार किया हैं। इसी कारण वर्ष 2002 में कुछ भक्तों ने मिलकर नगर में कल्लाजी वेदपीठ की स्थापना कर उन्हीं की प्रेरणा से वेद विद्यालय का शुभारंभ किया। जिसके माध्यम से पिछले 23 वर्षों में 500 से अधिक बटुक निशुल्क आवासीय वेद विद्यालय में वैदिक संस्कृति का ज्ञान प्राप्त कर अधिकांश बटुक जीविकोपार्जन करने में सक्षम हुए हैं, जो देश और प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सेवाएं दे रहे हैं। यह कल्लाजी की ही प्रेरणा का प्रतिफल हैं कि वेद विद्यालय के स्थापना के मात्र 6 वर्ष बाद ही कल्याण भक्तों के सहयोग से देश का प्रथम वैदिक विश्वविद्यालय कल्लाजी के नाम से ही स्थापित करने का स्तुत्य प्रयास किया गया। जिसके फलस्वरूप मार्च 2008 में राज्य सरकार द्वारा 30 एकड़ भूमि का आवंटन होने पर 2100 गांवों से पूजित शिलाएं मंगवाकर 20 अप्रैल 2008 को विश्वविद्यालय का विधिवत पूजन कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया और मात्र एक दशक में विश्वविद्यालय के वांछित भवनों का निर्माण कर राज सरकार से विश्वविद्यालय स्थापना स्वीकृति आग्रह करने पर मार्च 2018 में विधानसभा में विदेयक पारित कर यहां वैदिक विश्वविद्यालय की स्वीकृति दी गई। इसके साथ ही विश्वविद्यालय की व्यवस्था के अनुरूप स्टाफ की नियुक्ति कर मात्र 3 वर्ष में विधिवत रूप से संचालित किए जाने लगा। वहीं वेदों में गौ माता का महत्व होने के फलस्वरूप विश्वविद्यालय परिसर से जुड़े स्थान पर कल्याण गौशाला की स्थापना कर वर्तमान में 400 गौवंश की सेवा की जा रही हैं, जबकि वेद विद्यालय में वर्तमान शिक्षा सत्र में 170 बटुक निशुल्क आवासीय व्यवस्था के साथ वैदिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दूसरी ओर वैदिक विश्वविद्यालय में लगभग 250 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। नवीनतम जानकरी के अनुसार इस विश्वविद्यालय में शीघ्र ही आयुर्वेद महाविद्यालय का संचालन संभावित हैं। जिसकी सभी आवश्यक तैयारियां संस्थान द्वारा की जा रही हैं। वेद विद्यालय एवं कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के फलस्वरूप कल्याणनगरी ने देश के वैदिक मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की हैं। अन्य स्थानों पर भले ही लोकदेवता के रूप में पूजा जाता हो, लेकिन कल्याणनगरी में उनकी मान्यता वैदिक आचार्याे एवं शेषावतार रूप में होने से इस नगर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कल्याण महाकुंभ सहित विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान में देश-प्रदेश के हजारों कल्याण भक्त जुड़कर विशिष्ट महत्व देते हुए एक अनुकरणीय योगदान कर रहे हैं। ऐसे ठाकुर जी का जन्मोत्सव श्रावण शुक्ला अष्टमी को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। जिसमें हजारों लोग सहभागी बन अपने आराध्य के दर्शन कर स्वयं को धन्य करेंगे।