भोपाल। प्रदेश में स्ट्रीट चिल्ड्रन पॉलिसी के दायरे में आने वाले शारीरिक या मानसिक नुकसान सहन कर चुके तथा शोषण, दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों को वल्नरेबिलिटी मैपिंग के जरिये योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इसके लिए जिला कार्यक्रम अधिकारियों को जिलों में अभियान चलाने के निर्देश महिला और बाल विकास विभाग ने दिए हैं। ऐसे बच्चों को विशेष रूप से दत्तक ग्रहण, फॉस्टर केयर और स्पॉन्सरशिप जैसी योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
यह जानकारी महिला और बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय बैठक में दी गई। आयुक्त महिला और बाल विकास विभाग सूफिया फारुकी वली और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में बैठक में तय किया गया कि वल्नरेबिलिटी मैपिंग से चिन्हित बच्चों को दत्तक ग्रहण, फॉस्टर केयर और स्पॉन्सरशिप जैसी योजनाओं से जोड़ा जाएगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को स्पॉन्सरशिप के माध्यम से सहयोग, दिव्यांग बच्चों को विकलांगता पेंशन का लाभ, गुमशुदा और तस्करी से बचाए गए बच्चों को उनके परिवार में पुनर्वास, शाला त्यागी बच्चों का पुनः प्रवेश, स्वास्थ्य जांच, चिकित्सा उपचार और परामर्श हेतु आयुष्मान भारत योजना से जोड़ने की कार्यवाही की जाएगी।
सुरक्षित माहौल देना डीपीओ और बाल कल्याण समितियों की जिम्मेदारी
आयुक्त महिला एवं बाल विकास सूफिया फारुकी वली ने कहा कि वल्नरेबिलिटी मैपिंग बच्चों के सामने आने वाले खतरों और चुनौतियों का व्यवस्थित आकलन है जो बाल संरक्षण योजनाओं को मजबूत बनाता है और विभागीय समन्वय करता है। जिला कार्यक्रम अधिकारियों एवं बाल कल्याण समितियों की जिम्मेदारी है कि ऐसे बच्चों को योजनाओं से जोड़कर सुरक्षित पारिवारिक वातावरण प्रदान करें और ‘स्ट्रीट चिल्ड्रन पालिसी-2022’ के अनुसार सड़क पर रहने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ें।
गौरतलब है कि वल्नरेबिलिटी मैपिंग में ऐसे बच्चों का चिन्हांकन किया जाता है जो किसी भी तरह के शारीरिक या मानसिक नुकसान, शोषण, दुर्व्यवहार के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वल्नरेबिलिटी मैपिंग एवं परिवार आधारित वैकल्पिक देख रेख विषय को लेकर राज्य स्तरीय बैठक बुलाई गई थी। इसमें प्रदेश के तीन संभागों भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन के 12 जिलों को प्रथम चरण में शामिल कर वल्नरेबिलिटी मैपिंग की कार्यवाही पर विस्तार से चर्चा की गई।
उज्जैन में पायल प्रोजेक्ट चला
बाल श्रम एवं बाल तस्करी से बचाए गए बच्चों को संरक्षण और पुनर्वास के लिए बाल देख रेख संस्थाओं में प्रवेश, मनोचिकित्सक और परामर्शदाताओं की मदद से परामर्श प्रदान करने तथा बच्चों व उनके परिवार को विभिन्न शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करने के लिये बैठक में दिशा-निर्देश दिए गए। पुनर्वासित बच्चों के निरंतर फॉलो-अप पर विशेष बल दिया गया। साथ ही उज्जैन जिले के पायलट प्रोजेक्ट के अनुभव जिला कार्यक्रम अधिकारी साबिर अहमद सिद्दीकी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने साझा किए। परिवार आधारित वैकल्पिक देखरेख की पांच वर्षीय कार्ययोजना प्रस्तुत कर सभी प्रतिभागियों से सुझाव आमंत्रित किए गए। बैठक में चयनित जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी, संयुक्त संचालक, डेवलपमेंट पार्टनर्स, अशासकीय संस्थाएं और विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।