जावरा। घड़ी वह पूर्ण स्वयंचालित प्रणाली है, जो वर्तमान समय को दिखाती है। घड़ी की इस परिभाषा से अलग अगर हम कहें कि घड़ी ऐसी भी हो सकती है, जो आपका भविष्य बदल दे ताे आप हैरान हो सकते हैं। एमपी के रतलाम जिले में जावरा के पास एक ऐसा मंदिर है, जिसे लेकर लोगों का दावा है कि यहां से घड़ी ले जाकर घर में लगाने पर बुरा वक्त खत्म होने लगता है।
जावरा के पास लेबड-नयागांव फोरलेन पर एक मंदिर है। नाम है सगस बावजी का मंदिर। जीवन की उलझनें कम करने के लिए यहां से घड़ी ले जाने और मन्नत पूरी होने के बाद नई घड़ी लाकर रखने की अनूठी परंपरा है। ये परम्परा साल दर साल बढ़ती जा रही है। 250 किमी लंबे फोरलेन पर एकमात्र यही मंदिर है, जो बीचों-बीच स्थित है। यहां से गुजरने वाले बहुत से यात्री, ट्रक और बस चालक यहां रुकते हैं।
सगस बावजी को फोरलेन का राजा भी कहा जाता है-
मंदिर के पुजारी दीपेश बैरागी बताते हैं, यहां सगस बावजी का मंदिर प्राचीन है। 2009 में जब फोरलेन का काम शुरू हुआ तो खजूर के पेड़ के नीचे बने इस मंदिर को हटाने जेसीबी और अन्य मशीनें आईं। कभी मशीनें खराब हो जातीं, तो कभी उनमें ईंधन खत्म हो जाता। एक बार तो जेसीबी के अंदर सांप घुस गया था, जिससे भगदड़ मच गई थी। करीब 3 महीने तक मंदिर नहीं हट पाया तो कंस्ट्रक्शन कंपनी ने ही दोनों साइड से फोरलेन निकाल दिया। बाद में उसी कंपनी ने फोरलेन के बीच में मंदिर बनवाया, इसलिए सगस बावजी को फोरलेन का राजा भी कहा जाने लगा।
मंदिर से घड़ी ले जाते हैं, फिर नई घड़ी चढ़ाने आते हैं-
मंदिर से घड़ी ले जा रहीं ललिता भारोड़ा ने बताया कि वे मन्नत लेकर यहां से घड़ी लेकर जा रही हैं। कारण पूछने पर कहा- कुछ पारिवारिक परेशानियां हैं। मेरी एक रिश्तेदार ने बताया था कि यहां से घड़ी लेकर जाऊं तो उलझनें खत्म हो जाएंगी। रतलाम के श्रद्धालु दीपक पाल ने बताया कि आधी रात को भी यहां से गुजरते हैं तो रुकते जरूर हैं। फोरलेन के बीच ये गजब का मंदिर है।