गुजरात में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद एमपी की भाजपाई सियासत में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। हरदा में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने साफ़ शब्दों में गुजरात मॉडल को एमपी में लागू करने की पैरवी की तो मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा को पत्र लिखकर मांग कर डाली की एमपी के सत्ता और संगठन में तत्काल गुजरात मॉडल लागू किया जाना चाहिए।
मालवा में भाजपा विधायकों के चेहरे उतरे-
एमपी की सियासत में गुजरात मॉडल को लागू करने की मांग से मालवा के भाजपाई विधायकों के चेहरे से नूर गायब है। आंकड़ों की बात करें तो करीब एक दर्जन विधायक मालवा में ऐसे हैं, जिन्हें गुजरात मॉडल लागू होने पर विधायक के टिकिट से हाथ धोना पड़ेगा। गुजरात मॉडल का खासा प्रभाव मालवा के विधायकों और मंत्रियों पर पढ़ सकता है।
गुजरात मॉडल और आईपीएस मकवाना का तबादला-
गुजरात मॉडल की मांग उठने के साथ ही भाजपा में घात प्रतिघात की राजनीति भी गरमा चुकी है, जिस तरह गुजरात में चुनाव के एक साल पहले सीएम विजय रुपाणी की विदाई हुई, ठीक उसी तरह अनादर खाने एमपी में भी गुजरात मॉडल के आसरे शिवराज पर निशाना साधा जा रहा है। भाजपाई यह भी कह रहे हैं कि सीएम शिवराज प्रदेश में छोटे कर्मचारियों को मौके पर सस्पेंड कर मीडिया में वाहवाही लूट रहे हैं, जिसका नुकसान आने वाले चुनाव में भाजपा को उठाना पडेगा। यदि शिवराज को कार्रवाही करनी ही है तो बड़े भ्रष्ट अफ़सरों पर करें। जबकि उलटा उन्होंने इन भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाही करने वाले ईमानदार आईपीएस लोकायुक्त डीजीपी कैलाश मकवाना का ही ट्रांसफर कर दिया। जबकि लोकायुक्त में भ्रष्ट अफसरों से जुडी नब्बे के दशक की फाइलें धूल खा रही थी। आईपीएस मकवाना ने उन फाइलों की धूल झटकनी शुरू कर दी थी।