खरगोन। खारक बांध प्रभावितों का मुआवजे को लेकर धरना-प्रदर्शन शुक्रवार पांचवे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शन जिला मुख्यालय पर जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में चल रहा है। जिसमें खारक बांध डूब प्रभावित सैकड़ों आदिवासी महिला-पुरुषों के धरने पर बैठे है। आदिवासी महिलाएं अपने बच्चों सहित अपने पूरे जज्बे के साथ धरना स्थल पर मौजूद हैं। वे तरह-तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के बाद भी धरना स्थल पर डटे हुए हैं।
शासन-प्रशासन ने अभी तक उनकी मांगों की पूर्ति के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया। न ही कोई संतोषजनक जवाब मिला है। डूब प्रभावित भीमा आन्या की मौत से आक्रोशित आदिवासियों ने धरने के पांचवे दिन भी भीमा को श्रद्धांजलि अर्पित की और कड़े स्वर में ष्भीमा भाई को न्याय दोष् के नारे लगाए। डूब प्रभावितों ने भीमा की मौत का जिम्मेदार सरकार को ठहराया हैं।
डूब प्रभावित शिवराम सोलंकी ने बताया कि अपनी पूरी जमीन बांध निर्माण में खो चुके और पुनर्वास नहीं मिलने से परेशान आदिवासी भीमा आन्या ने उसी खारक बांध में कूदकर अपनी जान दे दी। यह घटना पिछले दिनों की है। दो दिन से चल रही भारी बारिश की वजह से परेशानियों का सामना आंदोलनकारियों को करना पड़ा। फिर भी आदिवासी आंदोलनकारी महिला पुरुष उसी जोश के साथ डटे हुए हैं। आदिवासी संघर्ष गीत गाकर अपने हौंसले को बनाए हुए हैं।
सांसद गजेंद्र पटेल शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे खारक बांध के डूब प्रभावितों से मिलने पहुंचे। सांसद से लंबी बात करने के बाद सांसद पटेल ने आश्वासन दिया कि वो 15 दिन के अंदर आदिवासी डूब पीड़ितों की पूरी समस्याओं का निराकरण करवाएंगे। उन्होंने 15 दिन की मोहलत आंदोलनकारियों से मांगी। आंदोलनकारी उनकी बात से संतुष्ट नहीं हैं। आदिवासी आंदोलनकारी महिला पुरुषों ने तय किया कि जब तक हमारी दो स्पष्ट मांगों का पूरा निराकरण नहीं किया जाता। तब तक हम डटे रहेंगे और आंदोलन जारी रहेगा।