खरगोन। सीएमएचओ डॉ. एमएस सिसोदिया एवं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. मनोज पाटीदार ने रविवार को बाढ़ से प्रभावित ग्रामों का भ्रमण किया। उन्होंने नावड़ातवड़ी, माकड़खेड़ा तथा महेश्वर के सुलगॉव, पथराड़, बहेगॉव व बड़वाह के नावघाटखेड़ी का भ्रमण किय। इस दौरान सीएचओ, एएनएम, आशा कार्यकर्ता आदि को शिविर में रूके हुये समस्त व्यक्तियों का स्वास्थ्य परिक्षण कर आवश्यक औषधियॉ उपलब्ध करवाई गई। साथ ही प्रत्येक राहत शिविर में मैदानी अमले को आवश्यक दवाईयों के साथ प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति के स्वास्थ्य परीक्षण करने के निर्देश दिये गये। वहीं शिविरों में पीने के पानी में क्लोरिन टेबलेट तथा जिन स्थानो पर कुआंे का पानी उपयेाग किया जा रहा है, उन स्थानो पर ब्लिचिंग पावडार डालवाया गया। जिससे प्रभावित क्षैत्र के लोगों को किसी भी प्रकार की जलजनित बीमारी होने से बचाया जा सके। साथ ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. सिसोदिया द्वारा आमजन से अपील की कि वर्षा ऋतु में दुषित पानी से अनेक संक्रामक बीमारिया विशेषकर उल्टी, दस्त, पेचिस, हेजा, पीलिया, टाईफाईड आदि होने के संभावना रहती है।
बीमारियों से बचने के लिए बरते सावधानी -
बीमारियों से बचने के लिए नागरिकों को सावधानी बरतने की सख्त आवश्यकता है। इसके लिए नागरीक खाने पीने के लिए स्वच्छ एवं सुरक्षित पानी का उपयोग करे। सदैव शौच से आने के बाद हाथ साफ पानी व साबुन से अच्छी तरह धाये। खाना बनाने, परोसने व खाने के पहले हाथ साफ पानी व साबुन से अच्छी तरह धोवे। ताजे बने भोजन व खाद्य वस्तुओं का ही सेवन करें। ज्यादा देन का बना भोजन व बासी खाद्य वस्तुओं का सेवन न करें। सदैव भोजन व अन्य खाद्य सामग्रियो को उचित ढक्कन से ढक कर रखे ताकि उसे मक्खियो व धुल से दुषित होने से बचाया जा सकें। पानी के लिये सुरक्षित पेयजल स्त्रोत का ही उपयोग करे। यदि पानी के दुषित होने की संभावना हो तो क्लोरीन की गोली का उपयोग करे। जो ग्राम की आशा, एएनएम के पास उपलब्ध रहती है। गंदे सड़े-गले व फटे हुये फलो का एवं बाजार में खुले खाद्य पदार्थाे का सेवन नहीं करें। सब्जियों व फलो को साफ पानी से धोने के बाद ही उपयोग करें । सब्जियो व फलों को साफ धुले हुये चाकु से काटे। शौचालय को स्वच्छ रखे।
मैं बाढ़ में अपने स्वास्थ्य की रक्षा कैसे करू ?
बाढ़ संभावित रूप से पानी और वेक्टर जनित बीमारियॉ जैसे टायफाईड बुखार, मलरिया, हैजा, पीला बुखार, आदि के संचरण को बढ़ा सकती है, इसलिये अपने जोखिम को जानना और अपने जल स्त्रोतो की रक्षा करना महत्वपूर्ण है। बाढ़ से जुड़ा सबसे आम जोखिम पीने के पानी की सुविधाओं और खड़े पानी का संदूषण है, जो मच्छरो के लिए प्रजनन स्थल हो सकता है, रासायनिक खतरे ला सकता है, और चोटो का कारण बन सकता है। अपने क्षैत्र के निकासी मार्ग और चेतावनी संकेतो को जानना, और बाढ़ या भूस्खलन की संभावना वाले क्षैत्रो की पहचान करना। पीने के पानी और भोजन तैयार करने के लिय पानी का क्लोरिनीकरण करना या उसे उबालना बाढ़ के बाद सुरक्षित पेयजल की निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण निवारक उपया है, ताकि जल जनित बीमारियों के फैलने के जोखिम को कम किया जा सके। बर्तन धोने, दॉत ब्रश करने या भोजन धोने और तैयार करने के लिए बाढ़ के पानी का उपयोग न रकें, यदि आप बाढ़ के पानी के संपर्क में रहे है तो हमेशा अपने हाथ साबुन और पानी से धोंऐ। बाढ़ वाले क्षैत्रों और खड़े पानी के बीच चलने या गाड़ी चलाने से बचें। यहॉ तक की पानी की थोड़ी सी मात्रा भी बड़े खतरे ला सकती है, आपको पता नहीं चलता कि पानी में बिजली की लाइनें गिरी है, या खतरनाक रसायन मौजूद है। बाढ़ के दौरान कारें और लोग आसानी से बह सकते है।