मोरवन। हरियाली अमावस्या के पावन पर्व पर महिला मंडल व भगवान लक्ष्मी नारायण समिति एवं समस्त ग्रामवासी के सहयोग से मोरवन जावद रोड स्थित सामुदायिक भवन में क्षेत्र की प्रसिद्ध साध्वी जयमाला दीदी वैष्णव (नीलिया वाले) के मुखारविंद से तीन दिवसीय धार्मिक कथा नानी बाई रो मायरो के आयोजन का सोमवार आज शुभारंभ हुआ। गांव के मध्य स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर से गाजे बाजे के साथ विशाल कलश यात्रा निकाली गई जिसमें काफी संख्या में महिलाओं ने उत्साह के साथ भाग लिया साथ ही युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर कलश यात्रा में हिस्सा लिया। कलश यात्रा मोरवन के प्रमुख मार्गाे से होती हुई जावद रोड स्थित सामुदायिक भवन पहुंची जहां व्यास पीठ की विधि विधान से पूजा अर्चना कर कथा प्रारंभ की गई।कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु सामुदायिक भवन में पहुंचे।पहले दिन की कथा का शुभारंभ करते हुए साध्वी श्री जयमाला दीदी वैष्णव ने कहा कि नानी बाई रो मायरो अटूट प्रेम श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा है। जहां कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया जाता है। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं। दीदी ने कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरूआत नरसी भगत के जीवन से हुई। नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे। वो अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई-भाभी भी थे।संत स्वरूप नारायण की कृपा से नरसी की आवाज व उनका बहरापन भी ठीक हो गया। ठीक होते ही नरसी समझ गए कि कृष्ण कृपा से ही में ठीक हुआ हु पूरा जीवन नरसी ने कृष्ण भक्ति को समर्पित कर दिया। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए। नरसी का विवाह हुआ।लेकिन छोटी उम्र में भगवान को प्यारी हो गई। समय बीतने पर नरसी की लड़की नानीबाई का विवाह हुआ। गौ माता की विशेषता बताते हुए कहा कि जिस घर में गौ माता की सेवा होती है उस घर में रोग दोष नहीं आते। ईश्वर की विशेष कृपा उस घर परिवार पर बनी रहती है गाय की सेवा भाव से करनी चाहिए। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। वे सुबह शाम उठते बैठते बस भजन करते। भजन करने से जीवन का कल्याण हो जाता है। एकली खड़ी रे मीराबाई एकली खड़ी, भोला अमली मारा भोला अमली जैसे राजस्थानी भजनों पर श्रद्धालु भक्त खूब थिरके।प्रथम दिन की कथा विश्राम के बाद आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।