कुकड़ेश्वर। नगर में इस वर्ष पहली बार आदिवासी भील समाज के सैकड़ों श्रद्धालु 12 गांवों से कावड़ यात्रा लेकर चमत्कारी सहस्त्र मुखेश्वर भोलेनाथ मंदिर पहुंचे। यह ऐतिहासिक क्षण समाज के लिए गौरव का विषय बना, जब महिलाएं, पुरुष और बच्चे वनवासी परंपराओं के साथ कांवड़ लेकर भोलेनाथ के दर्शन हेतु नगर में प्रवेश करते दिखे।
इस विशेष कावड़ यात्रा की शुरुआत बाहरा अवतार मंदिर से हुई, जहाँ से भील समाज के महिला मंडल ने एकमत होकर इस वर्ष यात्रा का गंतव्य कुकड़ेश्वर के सहस्त्र मुक्तेश्वर महादेव मंदिर को चुना। इससे पहले कांवड़ यात्रा कंजार्डा चारभुजा नाथ तक जाती थी।
वनवासी परंपरा की झलक-
कांवड़ यात्रा में विशेष रूप से तीर-कमान, धनुष और वनवासी शैली में सजी-धजी कांवड़ें आकर्षण का केंद्र रहीं। सभी श्रद्धालु पारंपरिक गीतों के साथ उत्साहपूर्वक यात्रा करते हुए मंदिर पहुंचे। महिलाओं ने बताया कि यह यात्रा उनके लिए आत्मिक शांति और भक्ति से ओतप्रोत रही।
विधायक ने किया स्वागत-
मंदिर परिसर में पहुंचे सभी कांवड़ियों का स्वागत क्षेत्रीय विधायक माधव मारू द्वारा किया गया। उन्होंने भील समाज की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह धार्मिक यात्रा सामाजिक एकता और संस्कृति का प्रतीक है।
भोलेनाथ का जलाभिषेक और आशीर्वाद-
मंदिर पहुँचने के बाद सभी कांवड़ियों ने बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने फूल-मालाओं से सभी कांवड़ियों का स्वागत किया। इस ऐतिहासिक यात्रा से समाज में नई धार्मिक ऊर्जा और एकता का संदेश गया है। भील समाज द्वारा आयोजित यह यात्रा आने वाले वर्षों में एक नई परंपरा का स्वरूप ले सकती है।