गरोठ। कोटड़ा बुजुर्ग के समीप स्थित पोलाडोंगर एक प्राचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थल है, जहां हरियाली अमावस्या के अवसर पर प्रतिवर्ष एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस पर्व पर हजारों श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां स्थापित अतिप्राचीन शिव प्रतिमा अपने विशाल आकार के लिए प्रसिद्ध है। मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें सजती हैं और श्रद्धालु पूजा-अर्चना के साथ-साथ मेले का आनंद लेते हैं।
पोलाडोंगर नाम इस क्षेत्र की प्राकृतिक ष्पोलाष् (खोह जैसी संरचना) वाली बनावट के कारण पड़ा है। यहां की विशाल रॉक-कट गुफाएं विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान एक रात यहां विश्राम किया था, जिससे इस स्थल का पौराणिक महत्व और बढ़ जाता है।
पोलाडोंगर की गुफाएं छठी शताब्दी में दशपुर के राजा प्रभाकर द्वारा निर्मित मानी जाती हैं। चट्टानों को काटकर बनाई गई इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षुओं के ध्यान केंद्र रहे अवशेष मिलते हैं, जिनमें हीनयान और महायान संप्रदाय की विशेषताएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। कई गुफाओं में भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ भी विद्यमान हैं।
यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां आने वाले पर्यटक गुफाओं के साथ-साथ आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद लेते हैं। स्थानीय लोग यहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना कर श्रद्धा प्रकट करते हैं।
पोलाडोंगर का यह ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व इसे गरोठ क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करता है।