कुकड़ेश्वर। कुकड़ेश्वर स्थित जैन धर्मशाला में चातुर्मास हेतु विराजित साध्वी प्रियदर्शना जी महाराज साहब ने अपने प्रवचनों में कहा कि मन को सुधारना है तो भावों को सुधारो, देह को सुधारने से पहले दिल को सुधारो। गति को सुधारना है तो पहले मति को सुधारो। उन्होंने विचारों की शुद्धता को जीवन के उत्थान का मूल आधार बताया।
साध्वीश्री ने कहा कि व्यक्ति अपने विचारों से ही ऊँचाई पर पहुंचता है और उन्हीं विचारों से उसका पतन भी संभव है। यदि विचार शुद्ध और सकारात्मक हों, तो जीवन में उन्नति सुनिश्चित है। वहीं, अशुद्ध विचार व्यक्ति को अधोगति की ओर ले जाते हैं।
उन्होंने चार उपकारी तत्वों- सूर्य, साहित्य, सरोवर और संत का उल्लेख करते हुए बताया कि सूर्य अंधकार मिटाता है, साहित्य जीवन का मार्गदर्शन करता है, सरोवर प्यास बुझाता है और संत स्वयं भी तैरते हैं और दूसरों को भी पार लगाते हैं।
कार्यक्रम के दौरान कनक श्री जी महाराज साहब ने महा सती मरुधरसिंहनी नानू कुंवर जी महाराज साहब की 27वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा बी यानी बर्थ और डी यानी डेथ के बीच का जीवन हमारे कर्मों और विचारों से सार्थक बनता है। जन्म और मरण तो सभी का होता है, परंतु स्मरण कुछ ही लोगों का होता है। इस अवसर पर निरूपण जी महाराज साहब एवं संकल्प प्रभा जी महाराज साहब ने संगीतमय भक्ति प्रस्तुतियों के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।
साधना दिवस पर तपस्या पूर्ण-
आज, 25 जुलाई को साधना दिवस के अवसर पर 30 से 35 महिला-पुरुषों ने निवी की तपस्या पूर्ण कर आध्यात्मिक साधना में सहभागिता निभाई। कार्यक्रम में नगर के अनेक श्रद्धालुजन उपस्थित रहे। यह आयोजन भक्ति, साधना और प्रेरक विचारों से परिपूर्ण रहा, जिसने श्रद्धालुओं के मन में नई आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।