चीताखेड़ा। श्रावण मास के पावन अवसर पर जीरन मार्ग स्थित दलपतपुरा झील के समीप मनोहारी पहाड़ियों की गोद में विराजमान 11वीं शताब्दी के प्राचीन रामझर महादेव मंदिर पर सावन के तीसरे सोमवार को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विशाल मेला एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
इस आयोजन का एक विशेष आकर्षण चीताखेड़ा महाकाल भक्त मंडल द्वारा निकाली जाने वाली भव्य कांवड़ यात्रा है, जो 28 जुलाई, सोमवार को महाकाल की शाही सवारी के रूप में चीताखेड़ा के बजरंग मंदिर से प्रातः 7 बजे आरंभ होगी। यात्रा डीजे साउंड, बैंड-बाजे, ढोल-ढमाके और जयकारों के साथ बड़े ही उल्लास व भक्ति भाव से प्रारंभ होगी।
6 से सैकड़ों तक का सफर-
महाकाल भक्त मंडल की यह यात्रा मात्र 6 कांवड़ियों और 5 भक्तों के साथ 4 वर्ष पूर्व शुरू हुई थी। समय के साथ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई और आज यह सैकड़ों भक्तों का एक विशाल कारवां बन चुका है। यह सब मंडल के सदस्यों की निरंतर मेहनत, सेवा और समर्पण का परिणाम है।
निरूशुल्क कांवड़ और जनसंपर्क अभियान-
यात्रा को भव्य और जनभागीदारी से भरपूर बनाने के लिए भक्त मंडल के सदस्य घर-घर जाकर ष्चलो रामझर महादेवष् के जयघोष के साथ आमंत्रण दे रहे हैं। साथ ही, सभी कांवड़ियों के लिए मंडल द्वारा निरूशुल्क कांवड़ उपलब्ध करवाई जा रही हैं, जिन्हें स्वयं तैयार किया जा रहा है।
मेला और दुकानें-
मेले में दुकान लगाने के इच्छुक व्यापारियों को 27 जुलाई, रविवार को सुबह 8 बजे मेला समिति द्वारा निरूशुल्क प्लॉट आवंटित किए जाएंगे। हर साल की तरह इस बार भी मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों की भागीदारी रहने की संभावना है। यह धार्मिक आयोजन न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सहयोग और उत्सवधर्मिता का अद्भुत उदाहरण भी बनता जा रहा है।