टीकमगढ़। सावन के तीसरे सोमवार को टीकमगढ़ के शिव धाम कुंडेश्वर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हैं। भक्तों ने बम-बम भोले के जयकारे लगाकर भगवान शिव का अभिषेक किया।
मंदिर का गर्भ गृह शाम 5 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा। इसके बाद भगवान शिव का सवा किलो भांग से और चांदी के आभूषण और चांदी की मुंडमाला पहनाकर रजत श्रृंगार किया जाएगा। श्रृंगार के बाद गाजे-बाजे के साथ भगवान की महाआरती उतारी जाएगी।
प्रशासन ने पुलिस बल तैनात किया
कुंडेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी जमुना तिवारी महाराज ने बताया कि सोमवार सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पुजारियों ने भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया। आरती के बाद सुबह 5 बजे मंदिर का गर्भ गृह भक्तों के लिए खोला गया।
भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर में पुरुष और महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष अभिषेक पस्तोर ने बताया कि समूचे बुंदेलखंड में कुंडेश्वर महादेव को 13वें ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। यहां भगवान भोलेनाथ का स्वयंभू शिवलिंग है।
1937 में खुदाई के दौरान मिला शिवलिंग
सन 1937 में टीकमगढ़ रियासत के तत्कालीन महाराज वीर सिंह जू देव द्वितीय ने यहां खुदाई करवाई थी। हर तीन फीट पर एक जलहरी मिली और कुल सात जलहरियां मिलीं। लेकिन शिवलिंग की पूरी गहराई तक नहीं पहुंच सके। फिर भगवान के स्वप्न आदेश पर खुदाई बंद कर दी गई।
इस स्थान को तेरहवें ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। भक्त इसे सभी ज्योतिर्लिंगों से अलग मानते हैं क्योंकि यह स्वयंभू है। सदियों से कुण्डेश्वर महादेव के प्रति भक्तों की आस्था अटूट बनी हुई है।